शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र | scope of educational psychology

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है इस विज्ञान के क्षेत्र की
सीमाओं को निर्धारित करने के विद्वानों ने अनेक प्रयास किए हैं।1945 में
अमेरिका की वैज्ञानिक परिषद से संबद्ध शिक्षा मनोविज्ञान विभाग के द्वारा
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र इस प्रकार निर्धारित किया गया –

1- शिक्षा मनोविज्ञान में प्राणी के विकास से संबंधित विभिन्न अवस्थाओं का वैज्ञानिक विधियों के आधार पर अध्ययन किया जाता है।

2- इसके अंतर्गत बालकों के अधिगम से संबंधित विभिन्न पहलुओं का समावेश किया जाता है

3- शिक्षा मनोविज्ञान में मानव के व्यक्तित्व एवं उनके समायोजन से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

4- बालकों की बुद्धि,अभिवृद्धि रुचि,निष्पत्ति के अधिगम एवं मापक की पद्धतियों को विकसित करने का कार्य किया जाता है।

5- शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत अध्ययन की नवीन विधियों का विकास किया जाता है।

Table of Contents

गैरिसन(Garrison) के अनुसार –

“शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत बालक एवं उनके विकास,
विद्यार्थियों के मूल्यांकन ,अधिगम एवं अभिप्रेरणा, अनुदेशन तथा समायोजन
आदि से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।”

क्रो एंड क्रो (Crow and Crow) के अनुसार –

 “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाली दशकों से संबंधित होती है।”

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत निम्न विषयों का अध्ययन करते हैं –

1- वंशानुक्रम एवं वातावरण (Heredity and Environment)-

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत बालक के वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन
किया जाता है इस अध्ययन से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि उस पर
वंशानुक्रम का अधिक प्रभाव पड़ा है या वातावरण का और बाद उसमें सुधार करने
का प्रयास किया जाता है।

2- विकास(Development)-

शिक्षा मनोविज्ञान में बालक के विकास की विभिन्न अवस्थाओं- शैशवावस्था,
बाल्यावस्था और किशोरावस्था – की विशेषताओं और उन में होने वाले शारीरिक,
मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक आदि परिवर्तनों और उनके अनुरूप प्रदान की जाने
वाली शिक्षा का अध्ययन किया जाता है।

3- वैयक्तिक भिन्नता (Individual Differences)-

संसार में सभी व्यक्ति एक समान नहीं होते। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी
विशेषताएं होती है जो उसको दूसरों से अलग करती है व्यक्ति में पाई जाने
वाली विभिन्न नेताओं को व्यक्तिक भिन्नता कहा जाता है। बालकों में पाई जाने
वाली इस भिन्नता का शिक्षा में बहुत महत्व है। व्यक्तिक भिन्नता के प्रकार
अस्तर कारण और उनके अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था मनोविज्ञान का अध्ययन विषय
है।

4- अधिगम (Learning)-

अधिगम शिक्षा मनोविज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण प्रत्यय है। इसके अंतर्गत
अधिगम के सिद्धांत,अधिगम के प्रकार,अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक,
अधिगम संक्रमण आदि का अध्ययन किया जाता है।

5- मनोशारीरिक तत्व (psychophysical Factors)-

मानसिक और शारीरिक तत्वों का बालक की शिक्षा पर पड़ते प्रभाव का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान
का अध्ययन विषय है। बालक की आवश्यकताओं,मूल प्रवृत्तियों, प्रेरणाओं,
थकान, रुचि, अरुचि आदि का सर्वांग अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता
है।

6- मानसिक स्वास्थ्य (mental health)-

संतुलित जीवन व्यतीत करने के लिए पारिवारिक जीवन में संतुलन स्थापित
करने के लिए, स्वस्थ और सामाजिक जीवन के लिए शिक्षा जगत में उन्नति करने के
लिए और व्यवसायिक कुशलता प्राप्त करने के लिए उत्तम मानसिक स्वास्थ्य का
होना अधिक आवश्यक है शिक्षा मनोविज्ञान मैं मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित
विषयों का अध्ययन किया जाता है। जिससे शिक्षकों और छात्रों का मानसिक
स्वास्थ्य उत्तम रहे तथा मानसिक रोगों,तनाव, संघर्षों और कुंण्ठाओं से दूर
रहें।

7- मापन और मूल्यांकन (Measurement and Evaluation)-

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत परिवर्तनों शैक्षिक उपलब्धियों और मानसिक
योग्यताओं के मापन और मूल्यांकन के लिए प्रयोग किए जाने वाले परीक्षणों का
अध्ययन किया जाता है। बुद्धि परीक्षण, निष्पत्ति परीक्षण, रुचि परीक्षण,
अभिरुचि परीक्षण, प्रवणता परीक्षण, सृजनात्मक परीक्षण आदि इसके अध्ययन विषय
है।

8- पाठ्यक्रम निर्माण (Curriculum Construction)-

पाठ्यक्रम निर्माण के संबंध में भी शिक्षा मनोविज्ञान
में अध्ययन किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा इस बात का प्रयास
किया जाता है। कि पाठ्यक्रम का निर्माण ऐसे सिद्धांतों के आधार पर किया
जाए, जो बालकों के लिए उपयोगी हो, उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला हो और
जिससे वह सरलता और सहजता से ग्रहण कर सके।

9- शिक्षण विधियां (Teaching Method)-

शिक्षा की नवीन विधियों का विकास करना और उनको मान्यता प्रदान करना
शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आता है। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण विधियों की
उपयोगिता और अनुउपयोगिता का अध्ययन करता है। और यह बताता है कि शिक्षण
विधि इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे बालक अच्छी तरह से ज्ञान अर्जन कर सके।

10- मनोवैज्ञानिक प्रयोग (psychological experiment)- 

मनोविज्ञान में अवधान, अधिगम, स्मृति, थकान, स्थानांतरण, कल्पना, तर्क,
विस्मृति आदि से संबंधित अनेक प्रयोग हुए हैं इन मनोवैज्ञानिक प्रयोगों का
अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता है और इन प्रयोगों के आधार पर बालक
को की शिक्षा व्यवस्था में वांछनीय परिवर्तन और सुधार किए जाते हैं।

11- विशिष्ट बालक(Exceptional children)-

विशिष्ट बालकों से तात्पर्य ऐसी बालकों से है जो सामान्य से अलग है जैसी
प्रतिभाशाली बालक, मंदबुद्धि बालक, विकलांग बालक, अपराधी बालक आदि।शिक्षा
मनोविज्ञान में उक्त बालकों के विषय में अध्ययन किया जाता है इन विशिष्ट
बालकों के कारण, लक्षण और उनकी शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन शिक्षा
मनोविज्ञान के लिए बहुत महत्व रखता है

12- मानसिक प्रक्रिया(mental process)-

बालक की व्यक्तित्व के विकास पर मानसिक प्रक्रियाओं का बहुत बड़ा प्रभाव
पड़ता है शिक्षा मनोविज्ञान में संवेदना, प्रत्यक्षीकरण, अवधान, समस्या,
विस्मरण, चिंतन ,तर्क, निर्णय, कल्पना आदि मानसिक शक्तियों का अध्ययन किया
जाता है और इस अध्ययन के पश्चात इस बात का प्रयास किया जाता है कि किस
प्रकार बालक हूं मैं इनका समुचित विकास किया जाता है।

13- निर्देशन एवं परामर्श (guidance and counselling)-

निर्देशन और परामर्श विद्यार्थियों के जीवन के लक्ष्य निश्चित करने में
उसके जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में और उसकी समस्याओं को सुलझाने में
सहायता प्रदान करता है। वैयक्तिक शैक्षिक और व्यवसायिक क्षेत्र में
विद्यार्थी को निर्देशन और परामर्श की अति आवश्यकता है। निर्देशन और
परामर्श का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आता है शिक्षा मनोविज्ञान
विद्यार्थियों को उचित शैक्षिक कार्यक्रमों तथा व्यवसाय को चुनने और उन में
प्रगति करने में सहायता प्रदान करता है।शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र –

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है इस विज्ञान के क्षेत्र की
सीमाओं को निर्धारित करने के विद्वानों ने अनेक प्रयास किए हैं।1945 में
अमेरिका की वैज्ञानिक परिषद से संबद्ध शिक्षा मनोविज्ञान विभाग के द्वारा
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र इस प्रकार निर्धारित किया गया –

1- शिक्षा मनोविज्ञान में प्राणी के विकास से संबंधित विभिन्न अवस्थाओं का वैज्ञानिक विधियों के आधार पर अध्ययन किया जाता है।

2- इसके अंतर्गत बालकों के अधिगम से संबंधित विभिन्न पहलुओं का समावेश किया जाता है

3- शिक्षा मनोविज्ञान में मानव के व्यक्तित्व एवं उनके समायोजन से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

4- बालकों की बुद्धि,अभिवृद्धि रुचि,निष्पत्ति के अधिगम एवं मापक की पद्धतियों को विकसित करने का कार्य किया जाता है।

5- शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत अध्ययन की नवीन विधियों का विकास किया जाता है।

गैरिसन(Garrison) के अनुसार –

“शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत बालक एवं उनके विकास,
विद्यार्थियों के मूल्यांकन ,अधिगम एवं अभिप्रेरणा, अनुदेशन तथा समायोजन
आदि से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।”

क्रो एंड क्रो (Crow and Crow) के अनुसार –

 “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाली दशकों से संबंधित होती है।”

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत निम्न विषयों का अध्ययन करते हैं –

1- वंशानुक्रम एवं वातावरण (Heredity and Environment)-

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत बालक के वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन
किया जाता है इस अध्ययन से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि उस पर
वंशानुक्रम का अधिक प्रभाव पड़ा है या वातावरण का और बाद उसमें सुधार करने
का प्रयास किया जाता है।

2- विकास(Development)-

शिक्षा मनोविज्ञान में बालक के विकास की विभिन्न अवस्थाओं- शैशवावस्था,
बाल्यावस्था और किशोरावस्था – की विशेषताओं और उन में होने वाले शारीरिक,
मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक आदि परिवर्तनों और उनके अनुरूप प्रदान की जाने
वाली शिक्षा का अध्ययन किया जाता है।

3- वैयक्तिक भिन्नता (Individual Differences)-

संसार में सभी व्यक्ति एक समान नहीं होते। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी
विशेषताएं होती है जो उसको दूसरों से अलग करती है व्यक्ति में पाई जाने
वाली विभिन्न नेताओं को व्यक्तिक भिन्नता कहा जाता है। बालकों में पाई जाने
वाली इस भिन्नता का शिक्षा में बहुत महत्व है। व्यक्तिक भिन्नता के प्रकार
अस्तर कारण और उनके अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था मनोविज्ञान का अध्ययन विषय
है।

4- अधिगम (Learning)-

अधिगम शिक्षा मनोविज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण प्रत्यय है। इसके अंतर्गत
अधिगम के सिद्धांत,अधिगम के प्रकार,अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक,
अधिगम संक्रमण आदि का अध्ययन किया जाता है।

5- मनोशारीरिक तत्व (psychophysical Factors)-

मानसिक और शारीरिक तत्वों का बालक की शिक्षा पर पड़ते प्रभाव का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान
का अध्ययन विषय है। बालक की आवश्यकताओं,मूल प्रवृत्तियों, प्रेरणाओं,
थकान, रुचि, अरुचि आदि का सर्वांग अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता
है।

6- मानसिक स्वास्थ्य (mental health)-

संतुलित जीवन व्यतीत करने के लिए पारिवारिक जीवन में संतुलन स्थापित
करने के लिए, स्वस्थ और सामाजिक जीवन के लिए शिक्षा जगत में उन्नति करने के
लिए और व्यवसायिक कुशलता प्राप्त करने के लिए उत्तम मानसिक स्वास्थ्य का
होना अधिक आवश्यक है शिक्षा मनोविज्ञान मैं मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित
विषयों का अध्ययन किया जाता है। जिससे शिक्षकों और छात्रों का मानसिक
स्वास्थ्य उत्तम रहे तथा मानसिक रोगों,तनाव, संघर्षों और कुंण्ठाओं से दूर
रहें।

7- मापन और मूल्यांकन (Measurement and Evaluation)-

शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत परिवर्तनों शैक्षिक उपलब्धियों और मानसिक
योग्यताओं के मापन और मूल्यांकन के लिए प्रयोग किए जाने वाले परीक्षणों का
अध्ययन किया जाता है। बुद्धि परीक्षण, निष्पत्ति परीक्षण, रुचि परीक्षण,
अभिरुचि परीक्षण, प्रवणता परीक्षण, सृजनात्मक परीक्षण आदि इसके अध्ययन विषय
है।

8- पाठ्यक्रम निर्माण (Curriculum Construction)-

पाठ्यक्रम निर्माण के संबंध में भी शिक्षा मनोविज्ञान
में अध्ययन किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा इस बात का प्रयास
किया जाता है। कि पाठ्यक्रम का निर्माण ऐसे सिद्धांतों के आधार पर किया
जाए, जो बालकों के लिए उपयोगी हो, उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला हो और
जिससे वह सरलता और सहजता से ग्रहण कर सके।

9- शिक्षण विधियां (Teaching Method)-

शिक्षा की नवीन विधियों का विकास करना और उनको मान्यता प्रदान करना
शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आता है। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण विधियों की
उपयोगिता और अनुउपयोगिता का अध्ययन करता है। और यह बताता है कि शिक्षण
विधि इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे बालक अच्छी तरह से ज्ञान अर्जन कर सके।

10- मनोवैज्ञानिक प्रयोग (psychological experiment)- 

मनोविज्ञान में अवधान, अधिगम, स्मृति, थकान, स्थानांतरण, कल्पना, तर्क,
विस्मृति आदि से संबंधित अनेक प्रयोग हुए हैं इन मनोवैज्ञानिक प्रयोगों का
अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता है और इन प्रयोगों के आधार पर बालक
को की शिक्षा व्यवस्था में वांछनीय परिवर्तन और सुधार किए जाते हैं।

11- विशिष्ट बालक(Exceptional children)-

विशिष्ट बालकों से तात्पर्य ऐसी बालकों से है जो सामान्य से अलग है जैसी
प्रतिभाशाली बालक, मंदबुद्धि बालक, विकलांग बालक, अपराधी बालक आदि।शिक्षा
मनोविज्ञान में उक्त बालकों के विषय में अध्ययन किया जाता है इन विशिष्ट
बालकों के कारण, लक्षण और उनकी शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन शिक्षा
मनोविज्ञान के लिए बहुत महत्व रखता है

12- मानसिक प्रक्रिया(mental process)-

बालक की व्यक्तित्व के विकास पर मानसिक प्रक्रियाओं का बहुत बड़ा प्रभाव
पड़ता है शिक्षा मनोविज्ञान में संवेदना, प्रत्यक्षीकरण, अवधान, समस्या,
विस्मरण, चिंतन ,तर्क, निर्णय, कल्पना आदि मानसिक शक्तियों का अध्ययन किया
जाता है और इस अध्ययन के पश्चात इस बात का प्रयास किया जाता है कि किस
प्रकार बालक हूं मैं इनका समुचित विकास किया जाता है।

13- निर्देशन एवं परामर्श (guidance and counselling)-

निर्देशन और परामर्श विद्यार्थियों के जीवन के लक्ष्य निश्चित करने में
उसके जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में और उसकी समस्याओं को सुलझाने में
सहायता प्रदान करता है। वैयक्तिक शैक्षिक और व्यवसायिक क्षेत्र में
विद्यार्थी को निर्देशन और परामर्श की अति आवश्यकता है। निर्देशन और
परामर्श का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आता है शिक्षा मनोविज्ञान
विद्यार्थियों को उचित शैक्षिक कार्यक्रमों तथा व्यवसाय को चुनने और उन में
प्रगति करने में सहायता प्रदान करता है।

Final Words

तो दोस्तों आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी! शेयरिंग बटन पोस्ट के नीचे इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। इसके अलावा अगर बीच में कोई परेशानी हो तो कमेंट बॉक्स में पूछने में संकोच न करें। आपकी सहायता कर हमें खुशी होगी। हम इससे जुड़े और भी पोस्ट लिखते रहेंगे। तो अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर हमारे ब्लॉग “Study Toper” को बुकमार्क (Ctrl + D) करना न भूलें और अपने ईमेल में सभी पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमें अभी सब्सक्राइब करें। 

अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। आप इसे व्हाट्सएप, फेसबुक या ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर साझा करके अधिक लोगों तक पहुंचने में हमारी सहायता कर सकते हैं। शुक्रिया!

Rate this post
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Hello friends, I am Ashok Nayak, the Author & Founder of this website blog, I have completed my post-graduation (M.sc mathematics) in 2022 from Madhya Pradesh. I enjoy learning and teaching things related to new education and technology. I request you to keep supporting us like this and we will keep providing new information for you. #We Support DIGITAL INDIA.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment