पर्सनल कम्प्यूटर क्या है? पर्सनल कम्प्यूटर का विकास ( Development of Personal Computer ) कैसे हुआ।

What is a personal computer?  How was the development of personal computer?


पर्सनल कम्प्यूटर का विकास – 
1970 में माइक्रोप्रोसेसर ( Microprocessor ) के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर को जन्म दिया। 1981 में आईबीएम ( IBM International Business Machine ) नामक कम्पनी ने पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण किया जिसे आईबीएम – पीसी कहा गया। 

बाद में बनने वाले पीसी आईबीएम पीसी कॉम्पैटिबल ( IBM PC Compatible ) कहलाये , अर्थात वे कार्य और क्षमता में आईबीएम पीसी जैसे ही हैं तथा उन पर वे सभी कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं जो आईबीएम पीसी पर चलते हैं। 

पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनाए गए डिजिटल कम्प्यूटर हैं , जिस पर एक बार में एक ही व्यक्ति ( Single User ) कार्य कर सकता है । 

इसे ऑफिस कार्य , डाटाबेस तैयार करने , ईमेल भेजने , इंटरनेट से जुड़ने , वीडियो गेम खेलने , संगीत व चलचित्र देखने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है । 

पर्सनल कम्प्यूटर को मॉडेम ( Modem ) तथा संचार माध्यम द्वारा नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है । पर्सनल कम्प्यूटर के लिए मल्टीटास्किंग आपरेटिंग साफ्टवेयर ( Multitasking Operating Software ) का प्रयोग किया जाता है । 

Table of Contents

1. पर्सनल कम्प्यूटर का वर्गीकरण –

वर्तमान में प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर को मदरबोर्ड की डिजाइन के आधार पर इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –

( i ) पीसी – एटी ( PC – AT- Personal Computer Advanced Technology ) 

( ii ) पीसी – एटीएक्स ( PC – ATX – Personal Computer Advanced Technology Extanded ) 

( iii ) पेंटियम पीसी ( Pentum PC ) 

2. पीसी के घटक ( Parts of Personal Computer ) 

वर्तमान पीसी के आवश्यक घटक हैं –

( i ) सिस्टम यूनिट ( System Unit ) 

( ii ) मॉनीटर ( Monitor ) या वीडीयू ( VDU ) 

( iii ) की – बोर्ड ( Key Board ) 

( iv ) माउस ( Mouse ) 

( v ) हार्ड डिस्क ( Hard Disk Drive ) 

मल्टीमीडिया के प्रयोग के लिए कुछ आवश्यक घटक हैं –

( i ) सीडीरॉम ड्राइव ( CD ROMDrive ) 

( ii ) स्पीकर ( Speaker ) 

( iii ) माइक ( Mike 

( iv ) माडेम ( Modem ) 

( v ) वेब कैम ( Web Cam ) 

पीसी के कुछ ऐच्छिक ( Optional ) घटक हैं –

( i ) प्रिंटर ( Printer ) 

( ii ) फ्लापी ड्राइव ( Floppy Drive ) 

( iii ) स्कैनर ( Scanner ) 

( iv ) ज्वॉस्टिक ( Joystick ) 

कम्प्यूटर को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए घटक हैं –

( i ) यूपीएस ( UPS – Uninterrupted Power Supply ) 

( ii ) सीवीटी ( CVT – Constant Voltage Transformer ) 

3. सिस्टम यूनिट ( System Unit ) 

सिस्टम यूनिट क्या है ? : यह पीसी का मुख्य भाग है । कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कार्य यहीं संचालित होते हैं । यह विभिन्न सिस्टम साफ्टवेयर और अप्लिकेशन साफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित किया जाता है । पीसी के अन्य सभी घटक इसी से जुड़े रहते हैं । बाहरी संरचना के आधार पर यह दो प्रकार का होता है 

( i ) डेस्कटॉप टाइप ( Desktop Type ) : इसमें सिस्टम यूनिट का चौकोर बाक्स टेबल पर पड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके उपर रखा जाता है। 

( ii ) टावर टाइप ( Tower Type ) : इसमें सिस्टम यूनिट का बाक्स टेबल पर सीधा खड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके बगल में रखा जाता है। वर्तमान में यह अधिक प्रचलित है। 

3.1. कम्प्यूटर कैबिनेट ( Computer Cabinet ) 

कैबिनेट क्या है? : कम्प्यूटर कैबिनेट प्लास्टिक या एल्युमिनियम का बना एक बक्सा होता है । कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के सभी घटक इसी केस के अंदर स्थापित किए जाते हैं । यह सिस्टम यूनिट के बाहरी संरचना का निर्माण करता है । 

3.2. सिस्टम यूनिट के मुख्य घटक ( Main Parts of System Unit ) 

( a ) पॉवर सप्लाई यूनिट ( Power Supply Unit ) : 

पॉवर सप्लाई यूनिट क्या है? : इसे घरेलू बिजली से 220V AC सप्लाई दी जाती है जिसे यह कम्प्यूटर में प्रयोग के लिए +5 वोल्ट और 12 वोल्ट DC सप्लाई में बदल देता है । 

कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक घटकों को + 5 V सप्लाई दी जाती है जबकि इसके मोटर , पंखे आदि को 12 वोल्ट की सप्लाई दी जाती है । 

यह कम्प्यूटर को उच्च व निम्न वोल्टेज की गड़बड़ियों से बचाता है । इसे वायु के सहारे ठंडा ( Air Cooled ) करने के लिए बिजली का एक पंखा ( Fan ) लगा रहता है । 

आजकल एसएमपीएस ( SMPS- Switch Mode Power Supply ) का प्रयोग किया जा रहा है । 

( b ) मदरबोर्ड ( Mother Board ) : 

मदरबोर्ड क्या है? : यह प्लास्टिक का बना पीसीबी ( PCB – Printed Ciruit Board ) होता है । धातु की पतली रेखाओं द्वारा यह दो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित करता है । 

यह कम्प्यूटर का मुख्य पटल ( Main Board ) होता है । संपूर्ण कम्प्यूटर मदरबोर्ड के इर्द – गिर्द ही घूमता है । सिस्टम यूनिट के सभी उपकरण मदरबोर्ड से ही जुड़े होते हैं । 

मदरबोर्ड पर माइक्रोप्रोसेसर लगाने का स्थान भी बना रहता है । इस पर बनी धातु की पतली रेखाएं , जिनके माध्यम से मदरबोर्ड पर बने विभिन्न उपकरणों के बीच संकेतों का आदान – प्रदान होता है , बस बार ( Bus Bar ) कहलाते हैं ।

( c ) सीपीयू ( CPU – Central Processing Unit ) : 

सीपीयू क्या है ? : इसे माइक्रो प्रोसेसर ( Micro Processor ) भी कहा जाता है। यह एक चिप होता है जो कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों का नियंत्रण तथा समन्वय करता है। 

कार्यों को नियंत्रित करने के लिए इसमें कंट्रोल यूनिट ( Control Unit ) तथा अंकगणितीय गणनाओं और कुछ लॉजिकल कार्यों के लिए अस्थिमैटिक लॉजिक यूनिट ( Arithmetic Logic Unit – ALU ) रहता है। 

कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी जैसे सेमी कंडक्टर रजिस्टर तथा कैश ( Cache ) मेमोरी सीपीयू के अंदर ही निर्मित होते हैं । 

( d ) मैथ कोप्रोसेसर ( Math Coprocessor ) : 

मैथ कोप्रोसेसर क्या है? : गणित के कार्यों को करने तथा सीपीयू की सहायता के लिए मैथ को – प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। नये माइक्रो प्रोसेसर में इसे अलग से लगाने की जरूरत नहीं होती। 

( e ) रैम चिप ( RAM Chip ) : 

रैम क्या है? : सिस्टम यूनिट के मदरबोर्ड पर रैम चिप लगाने के खाके बने रहते हैं , जिनमें आवश्यकतानुसार रैम चिप लगाये जा सकते हैं। यहां कार्य के दौरान डाटा व प्रोग्राम को अस्थाई तौर पर रखा जाता है। 

( f ) रॉम चिप ( ROM Chip ) : 

रोम क्या है? : निर्माण के समय ही इसमें डाटा डालकर पीसी के मदरबोर्ड पर स्थायी तौर पर लगा दिया जाता है। 

इस चिप में ऐसे डाटा और प्रोग्राम रखे जाते हैं जिनकी आवश्यकता पीसी को चालू करते ही पड़ती है। 

वायोस ( BIOS – Basic Input output System ) साफ्टवेयर स्थायी रॉम चिप में ही स्टोर किया जाता है । 

( g ) वीडियो डिस्प्ले कार्ड ( Video Display Card ) : 

वीडियो डिस्प्ले कार्ड क्या है ? दृश्य ( Video ) तथा चित्र ( Graphics ) को मॉनीटर पर दिखाने के लिए यह कार्ड मदरबोर्ड पर लगाया जाता है । 

इसमें वीजीए ( VGA Video Graphics Array ) या एसवीजीए ( SVGA – Super Video GraphicsArray ) का प्रयोग किया जाता है । 

( h ) साउण्ड कार्ड ( Sound Card ) : 

साउण्ड कार्ड क्या है ? : मल्टीमीडिया में ध्वनि के डिजिटल सूचनाओं को विद्युत संकेतों में बदलने के लिए इस कार्ड को मदरबोर्ड पर बने खाके में लगाया जाता है। बाहरी स्पीकर ( Extermal Speaker ) इसी कार्ड से जुड़ा रहता है । 

( i ) डिस्क ड्राइव कंट्रोल कार्ड ( Disk Drive Control Card ) : 

डिस्क ड्राइव कंट्रोल कार्ड क्या है ? : यह कार्ड फ्लापी तथा हार्ड डिस्क ड्राइव की मोटरों तथा उनसे डाटा के आने – जाने पर नियंत्रण के लिए मदरबोर्ड पर लगाया जाता है ।

( j ) आउटपुट एडॉप्टर कार्ड ( Output Adapter card ) : 

आउटपुट एडॉप्टर कार्ड क्या है? : यह मेमोरी तथा आउटपुट डिवाइस ( मानीटर व प्रिंटर ) बीच समन्वय का कार्य करता है। यह बाइनरी डाटा व सूचना को मानीटर या प्रिंटर के समझने योग्य बनाता है । 

( k ) स्पीकर ( Speaker ) : 

सिस्टम यूनिट के अंदर कुछ ध्वनि संकेत उत्पन्न करने के लिए स्पीकर लगा रहता है । 

( 1 ) टाइमर ( Timer ) : 

टाइमर क्या है ? : यह मदरबोर्ड पर लगा रहता है तथा घड़ी की तरह कार्य करता है । इसे एक बटन बैटरी से सप्लाई दी जाती है ताकि कम्प्यूटर बंद हो जाने पर भी घड़ी कार्य करती रहे ।

( m ) एक्सपैंशन स्लाट ( Expansion Slot ) : 

एक्सपैंशन स्लाट क्या है?: मदरबोर्ड पर किसी अन्य उपकरण को जोड़ने या भविष्य में प्रयोग के लिए खाने बने रहते हैं जिन्हें एक्सपैंशन स्लाट कहते हैं। 

( n ) पीसीआई ( PCI – Peripheral Component Inter connect ) : 

पीसीआई क्या है? : यह कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बना स्लाट है जिसके द्वारा नेटवर्क , ग्राफिक्स या साउण्ड कार्ड लगाया जाता है। यह डिवाइस को कम्प्यूटर मेमोरी से जोड़ता है । 

( o ) यूएसबी ( Universal Serial Bus ) : 

यूएसबी क्या है? : यह कम्प्यूटर तथा उसके किसी उपकरण ( device ) के बीच संचार स्थापित करने की एक व्यवस्था है । 

चूंकि इस व्यवस्था द्वारा लगभग सभी कम्प्यूटर उपकरणों जैसे- माउस , की – बोर्ड , प्रिंटर , डिजिटल कैमरा , द्वितीयक मेमोरी आदि को सीपीयू से जोड़ा जा सकता है, अतः इसे Univer sal Serial Bus कहा जाता है। 

इसका प्रयोग कम्प्यूटर के अलावा अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में भी लोकप्रिय हो रहा है। इसी कारण , आजकल पर्सनल कम्प्यूटर में एक से अधिक यूएसबी पोर्ट होते हैं। 

इसकी मुख्य विशेषता यह है कि कम्प्यूटर को बिना रीस्टार्ट किए किसी नए डिवाइस को कम्प्यूटर के साथ जोड़कर उसका प्रयोग किया जा सकता है। इसे प्लग एंड प्ले ( Plug and Play ) का गुण कहा जाता है । 

( p ) सी मॉस ( C – MOS – Complementary MetalOxide Semiconductor ) चिप : 

सी मॉस चिप मेमोरी कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित किया जाता है । इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जो कम्प्यूटर बंद होने पर भी सीमॉस चिप को पॉवर सप्लाई प्रदान करता है। 

( q ) एजीपी बस ( Accelerated Graphic Port Bus ) : 

एजीपी बस का प्रयोग त्रिविमीय चित्रों ( 3 Dimentional Pictures ) , ग्राफिक्स तथा चलचित्र ( Motion Videos ) के लिए किया जाता है । यह उच्च गति वाले वीडियो कार्ड को मदरबोर्ड से जोड़ता है । 

4. हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव ( Hard Disk and Hard Disc Drive ) :

हार्ड डिस्क पर्सनल कम्प्यूटर का एक मुख्य घटक है । यह एक प्रमुख सहायक ( Secondary ) स्टोरेज डिवाइस है जो डाटा और प्रोग्राम को संग्रहित रखता है । इसकी स्टोरेज क्षमता बड़ी होती है । 

कम्प्यूटर का आपरेटिंग सिस्टम , विभिन्न अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा डाटा और सूचनाएं हार्ड डिस्क में ही स्टोर की जाती हैं । यह एक स्थायी ( Non Volatile ) मेमोरी है जिसमें सप्लाई बंद कर देने पर भी संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता । 

हार्ड डिस्क ड्राइव की सहायता से हार्ड डिस्क में संग्रहित डाटा को पढ़ा जा सकता है , उसमें परिवर्तन किया जा सकता है तथा नया डाटा या साफ्टवेयर स्टोर भी किया जा सकता है । इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के भीतर रखा जाता है तथा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । 

पर्सनल कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव को एक यूनिट की तरह एक प्रदूषण रहित डिब्बे में सील बंद कर दिया जाता है जिसे विंचेस्टर डिस्क ( Winchester Disc ) कहा जाता है । 

पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त हार्ड डिस्क की स्टोरेज क्षमता जीबी ( GB – Giga Byte ) में आंकी जाती है ।

5. फ्लापी डिस्क ड्राइव ( Floppy Disk Drive ) 

फ्लॉपी डिस्क एक पोर्टेबल चुंबकीय मेमोरी डिवाइस है जिसे फ्लापी डिस्क ड्राइव में डालकर पढ़ा जा सकता है , उसके डाटा में परिवर्तन किया जा सकता है तथा नया डाटा स्टोर किया जा सकता है। 

नये मेमोरी डिवाइस के आविष्कार से पर्सनल कम्प्यूटर में फ्लापी डिस्क ड्राइव का प्रयोग कम हो रहा है । 

6.सीडी / डीवीडी ड्राइव ( CD / DVD Drive ) 

सीडी या डीवीडी ड्राइव पर्सनल कम्प्यूटर का एक अभिन्न अंग बन गया है । सीडी ( Compact Disc ) तथा डीवीडी ( Digital Video Disc ) आप्टिकल डिस्क के ही रूप हैं । इन्हें सीडी / डीवीडी ड्राइव में डालकर स्टोर की गयी सूचना को पढ़ा जा सकता है । 

सीडी ड्राइव की गति को एक नंबर और उसके बाद अक्षर x से दर्शाया जाता है । जैसे -8 x . 56x आदि । 

सीडी / डीवीडी के डाटा में परिवर्तन करने या नया डाटा स्टोर करने के लिए लिखने योग्य ड्राइव का प्रयोग किया जाता है जिसे सीडी / डीवीडी राइटर ( CD / DVD Writer ) कहते हैं । 

चूंकि डीवीडी नये किस्म का आप्टिकल डिस्क है , अतः डीवीडी ड्राइव सीडी के डाटा को पढ़ सकता है , परंतु सीडी ड्राइव डीवीडी के डाटा को नहीं पढ़ सकता । 

अपनी विशाल स्टोरेज क्षमता ( 650 MB या अधिक ) के कारण सीडी / डीवीडी का उपयोग वीडियो डाटा तथा चलचित्र ( Mo tion Picture ) को स्टोर करने के लिए किया जा रहा है । इस कारण , पर्सनल कम्प्यूटर मनोरंजन का एक बेहतर साधन बन चुका है।

7. मॉनीटर ( Monitor ) 

मॉनीटर पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो साफ्ट कॉपी आउटपुट प्रदान करता है । 

मानीटर कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है तथा उपयोगकर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित करता है । 

मल्टीमीडिया में एनीमेशन ( Animation ) , चलचित्र ( Movie ) , छाया चित्र ( Image ) , रेखाचित्र ( Graphics ) तथा वीडियो आदि के लिए मॉनीटर का होना आवश्यक है । 

की – बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा भी मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है । 

जीयूआई ( GUI – Graphical User Interface ) के बढ़ते प्रचलन के कारण मॉनीटर के बिना पर्सनल कम्प्यूटर की कल्पना बेमानी है । 

आजकल पर्सनल कम्प्यूटर के लिए एलसीडी ( LCD – Liquid Crystal Display ) या एलईडी ( LED – Light Emitting Diode ) मॉनीटर का प्रयोग हो रहा है । 

8. माउस ( Mouse ) 

माउस क्या है? : यह एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है । इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के पिछले भाग में बने सीरियल पोर्ट द्वारा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । 

ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ( GUI ) के बढ़ते उपयोग ने माउस को एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस बना दिया है ।

9. की – बोर्ड ( Key Board ) 

की – बोर्ड एक महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कम्प्यूटर में अक्षरों तथा अंकों ( Alphanumeric data ) को डालने में किया जाता है । 

वर्ड प्रोसेसिंग तथा स्प्रेडशीट साफ्टवेयर के लिए की – बोर्ड का प्रयोग आवश्यक हो जाता है । 

की – बोर्ड की सहायता से कम्प्यूटर को जरूरी निर्देश भी दिए जा सकते हैं । 

माउस खराब हो जाने पर की – बोर्ड को माउस की जगह प्रयोग किया जा सकता है । 

पर्सनल कम्प्यूटर के साथ 104 बटन वाले ‘ QWERTY ‘ की – बोर्ड का प्रयोग किया जाता है । 

विंडोज आपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयोग होने वाले की – बोर्ड में कुछ विशेष बटन भी हो सकते हैं । 

की – बोर्ड को कम्प्यूटर कैबिनेट के पीछे लगे PS – 2 पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । 

10. स्पीकर ( Speaker ) 

स्पीकर क्या है? : पर्सनल कम्प्यूटर का प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ करने के लिए वाह्य स्पीकर ( External Speaker ) का होना आवश्यक है । 

यह साफ्ट कॉपी प्रस्तुत करने वाला एक आउटपुट डिवाइस है । इसके लिए कम्प्यूटर में साउण्ड कार्ड ( Sound Card ) का होना जरूरी है । स्पीकर की क्षमता पीएमपीओ ( PM PO ) में मापी जाती है । 

11. प्रिंटर ( Printer ) 

यह पर्सनल कम्प्यूटर का एक ऐच्छिक अंग है । यह हार्ड कॉपी आउटपुट प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है । इसके द्वारा मॉनीटर पर प्रदर्शित होने वाले डाक्यूमेंट या चित्र को कागज पर प्रिंट किया जा सकता है । प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पीछे बने पैरालेल पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । 

12. स्कैनर ( Scanner ) 

स्कैनर क्या है? यह ऐच्छिक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग ग्राफ या चित्र को बाइनरी डाटा में बदलकर कम्प्यूटर में डालने के लिए किया जाता है।

13. मॉडेम ( Modem ) 

मोडेम क्या है? यह Modulator – Demodulator का संक्षिप्त रूप है । पीसी को टेलीफोन लाइन के सहारे नेट के साथ जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है । यह टेलीफोन लाइन पर आने वाली एनालॉग संकेतों को डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को देता है तथा कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न डिजिटल संकेतों को एनालॉग संकेत में बदलकर लाइन पर भेजता है । 

14. यूपीएस ( UPS – Uninterrupted Power Supply ) 

यूपीएस क्या है? बिजली की सप्लाई बंद हो जाने पर कम्प्यूटर अचानक बंद या ऑफ ( Off ) हो जाता है । इससे कम्प्यूटर का हार्ड डिस्क खराब होने का खतरा बना रहता है तथा सेव ( Save ) नहीं किया गया डाटा भी नष्ट हो जाता है । 

इससे बचने के लिए यूपीएस का प्रयोग किया जाता है । यूपीएस में एक रीचार्जेबल बैटरी होती है जो कम्प्यूटर को लगातार सप्लाई देती रहती है । इसे विद्युत सप्लाई से चार्ज किया जाता है । 

जब बैटरी की क्षमता कम होने लगती है तो यूपीएस बीप की ध्वनि द्वारा संकेत देकर उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर बंद करने के लिए चेतावनी देता है ।

15. सीवीटी ( CVT – Constant Voltage Transformer )

सीवीटी क्या है? इसका प्रयोग घरेलू सप्लाई में होने वाले वोल्टेज के उतार चढ़ाव को रोकने के लिए किया जाता है ताकि कम्प्यूटर को एक समान बिजली मिलती रहे । 

16. सिस्टम यूनिट का अगला भाग ( Front Partof SystemUnit ) 

पर्सनल कम्प्यूटर के सिस्टम यूनिट के अगले हिस्से में निम्न उपकरण होते है-

( a ) सीडी / डीवीडी ड्राइव ( CD / DVD Drive ) : 

सीडी / डीवीडी ड्राइव क्या है? इसका प्रयोग सीडी / डीवीडी में स्टोर की गई सूचना को पढ़ने या उसे लिखने के लिए किया जाता है । इसके साथ सीडी / डीवीडी ट्रे को अंदर / बाहर करने के लिए इजेक्ट बटन ( Eject button ) , आवाज नियंत्रण नॉब ( Volume Control Knob ) , हेडफोन के लिए जैक ( Jack ) तथा सीडी / डीवीडी के प्रयोग को दर्शाने वाली एलइडी ( LED ) होता है । 

( b ) रीसेट बटन ( Reset Button ) : 

कम्प्यूटर को पॉवर सप्लाई बंद किये बिना फिर से चालू ( Re – Start ) करने के लिए प्रयुक्त । 

( c ) फ्लापी डिस्क ड्राइव ( Floppy DiskDrive ) : 

फ्लापी की सूचना को पढ़ने या उस पर नई सूचना डालने के लिए प्रयुक्त । इसमें फ्लापी को बाहर निकालने के लिए एक पुश बटन तथा फ्लापी के उपयोग को दर्शाने के लिए एक एलईडी ( LED ) रहता है । 

( d ) पॉवर बटन ( Power Button ) : 

इस बटन द्वारा कम्प्यूटर के पावर सप्लाई यूनिट को बिजली की सप्लाई चालू या बंद किया जाता है । इसके साथ एक एलईडी ( LED ) रहता है जो पावर ऑन होने की स्थिति में जलता है । 

( e ) यूएसबी पोर्ट ( USB Port ) : 

यूएसबी पोर्ट के बढ़ते प्रयोग के कारण सिस्टम यूनिट के अगले भाग में एक या दो यूएसबी पोर्ट का जैक लगाया जाता है । इसका प्रयोग पेन ड्राइव या कोई अन्य उपकरण जोड़ने के लिए किया जाता है । 

17. सिस्टम यूनिट का पिछला भाग ( Back Side of System Unit ) 

( a ) पॉवर साकेट ( Power Sockets ) : 

सिस्टम यूनिट को सप्लाई से जोड़ने तथा मानीटर को सिस्टम यूनिट से सप्लाई देने के लिए प्रयुक्त ।

( b ) सीरियल पोर्ट ( Serial Port ) : 

डाटा को क्रमानुसार इनपुट करने वाले उपकरणों को जोड़ने के लिए । जैसे- माउस , माडेम आदि । सीरियल पोर्ट एक बार में एक बिट डाटा का स्थानान्तरण करते हैं तथा RS – 232 स्टैंडर्ड का अनुपालन करते हैं । 

( c ) पैरालेल पोर्ट ( Parallel Port ) : 

डाटा को समानान्तर क्रम में स्थानान्तरित करने के लिए । इस पोर्ट से प्रिंटर , आदि को जोड़ा जाता है । इसकी गति सीरियल पोर्ट से अधिक होती है । 

( d ) यूएसबी ( USB – Universal Serial Bus ) पोर्ट : 

यह किसी भी डिवाइस , जैसे माउस , प्रिंटर , पेन ड्राइव आदि को सिस्टम यूनिट से जोड़ता है । 

( e ) मॉनीटर पोर्ट ( Monitor Port ) : 

मॉनीटर को सिस्टम यूनिट से जोड़ने के लिए । इसे वीजीए ( VGA – Video Graphis Array ) पोर्ट भी कहते हैं । 

( f ) पीएस -2 ( PS – 2 – Plug Station – 2 ) पोर्ट : 

पीएस -2 पोर्ट के जरिए की – बोर्ड तथा माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है । यह गोल आकार का 6 पिन का पोर्ट है । माउस के लिए हरे रंग के PS – 2 पोर्ट का प्रयोग होता है जबकि की – बोर्ड के लिए बैगनी रंग के पोर्ट का प्रयोग होता है । 

( g ) ऑडियो जैक ( Audio Jack ) : 

वाह्य स्पीकर , हेडफोन या माइक को जोड़ने के लिए । 

( h ) एससीएसआई पोर्ट ( SCSI – Small Computer System Interface ) : 

बाहरी हार्ड डिस्क , डीवीडी या स्कैनर को जोड़ने के लिए।

( i ) नेटवर्क पोर्ट ( Network Port ) : 

कम्प्यूटर को किसी अन्य कम्प्यूटर के साथ जोड़ने के लिए । इसे RJ – 45 कनेक्टर या LAN या इथरनेट पोर्ट भी कहा जाता है । इसका प्रयोग कम्प्यूटर को टेलीफोन के लिए । लाइन के जरिए नेटवर्क से जोड़ने के लिए भी किया जाता है । 

( j ) फैन (Fan)

सिस्टम यूनिट के पिछले भाग में पावर सप्लाई यूनिट को ठंडा करने के लिए लगाया गया पंखा ( Fan ) भी होता है ।

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