MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

Table of content (TOC)

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
भारत में सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य है (2009, 11)
(i) असम
(ii) राजस्थान
(iii) झारखण्ड
(iv) हरियाणा।
उत्तर:
(iv) हरियाणा।

प्रश्न 2.
सुन्दरी वृक्ष पाया जाता है (2009, 10)
(i) उष्ण कटिबन्धीय वन में
(ii) हिमालयीन वन में
(iii) मैंग्रोव वन में,
(iv) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन में।
उत्तर:
(iii) मैंग्रोव वन में,

प्रश्न 3.
राजस्थान की प्राकृतिक वनस्पति है (2009)
(i) आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन
(ii) अल्पाइन प्रकार के वन,
(iii) उष्ण कटिबन्धीय कंटीले वन
(iv) आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध सदाबहार वन।
उत्तर:
(iii) उष्ण कटिबन्धीय कंटीले वन

प्रश्न 4.
भारतीय सिंहों का प्राकृतिक आवास आरक्षित क्षेत्र है (2008, 09, 12, 15)
(i) गुजरात का गिर क्षेत्र
(ii) असम का काजीरंगा वन क्षेत्र
(iii) पश्चिम बंगाल का सुन्दरवन
(iv) नीलगिरि वन क्षेत्र।
उत्तर:
(i) गुजरात का गिर क्षेत्र

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है? (2017)
उत्तर:
प्राकृतिक रूप से मानव के हस्तक्षेप के बिना उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।

प्रश्न 2.
वन किसे कहते हैं? (2014, 16, 18)
उत्तर:
वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं, जो प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधों तथा झाड़ियों द्वारा आच्छादित होता है।

प्रश्न 3.
मैंग्रोव वन किसे कहते हैं? (2017)
उत्तर:
भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में जहाँ ज्वारभाटा आते हैं, वहाँ मैंग्रोव या ज्वारीय वन पाये जाते हैं।

प्रश्न 4.
देशज व विदेशज वनस्पति से क्या आशय है?
उत्तर:
जो वनस्पति मूलरूप से भारतीय है, उसे देशज वनस्पति कहते हैं लेकिन जो पौधे भारत के बाहर से आये हैं, उन्हें विदेशज वनस्पति कहते हैं।

प्रश्न 5.
अभ्यारण्य किसे कहते हैं? (2014, 16, 18)
उत्तर:
अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यानों के समान ही होते हैं। ये वन्य प्राणियों को संरक्षित और प्रजातियों को सुरक्षित करने के लिए प्राकृतिक स्थल हैं यहाँ बिना अनुमति के शिकार करना मना होता है।

प्रश्न 6.
प्रशासनिक आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
प्रशासनिक आधार पर वनों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है –

  • आरक्षित वन :
    जो वन इमारती लकड़ी अथवा वन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए स्थायी रूप से सुरक्षित किये गये हैं जिनमें पशुओं की चराई व कृषि करने की अनुमति प्राप्त नहीं होती है, आरक्षित वन कहलाते हैं।
  • संरक्षित वन :
    ये वन जिनमें पशुओं को चराने व खेती करने की अनुमति सामान्य प्रतिबन्धों के साथ दे दी जाती है, संरक्षित वन कहलाते हैं।
  • अवर्गीकृत वन :
    वे वन जो न तो आरक्षित हैं और न ही सुरक्षित हैं, अवर्गीकृत वन कहलाते हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रवासी पक्षी क्या है?
उत्तर:
उत्तरी एशिया से भारत में अल्पकाल के लिए आने वाले पक्षियों को प्रवासी पक्षी कहा जाता है। भारत के कुछ दलदली भाग प्रवासी पक्षियों के लिये प्रसिद्ध हैं। शीत ऋतु में साइबेरियन सारस बहुत संख्या में यहाँ आते हैं। इन पक्षियों का मनपसन्द स्थान कच्छ का रन है। जिस स्थान पर मरुभूमि समुद्र से मिलती है, वहाँ लाल सुन्दर कलगी वाले फ्लैमिंगो हजारों की संख्या में आते हैं।

प्रश्न 2.
वन संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वन राष्ट्रीय सम्पदा हैं। यह मानव के लिये विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। वनों से हमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होते हैं। मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त होती हैं जबकि उन आवश्यकताओं को पूरा करने वाले प्रकृति प्रदत्त साधन सीमित हैं और यदि हम इन साधनों का अन्धाधुन्ध उपयोग करेंगे तो यह एक निश्चित समय के पश्चात् समाप्त हो जायेंगे। अतः वनों की देखभाल करना व उनको काटने से रोकना आदि ही वन संरक्षण कहलाते हैं। सरकार भी समय-समय पर अनेक कार्यक्रम शुरू करके वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करती है जिससे हम जीवन-पर्यन्त तक वनों से लाभान्वित होते रहें।

प्रश्न 3.
भारत की हिमालयी क्षेत्र की वनस्पति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिमालयी क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के कारण अन्य भागों की तुलना में वनस्पति में अधिक अन्तर होता है। शिवालिक श्रेणियों में 1000 मीटर की ऊँचाई पर, पर्वतपदीय क्षेत्र, भाबर व तराई में उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन पाये जाते हैं। 1000 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन पाये जाते हैं। ये लम्बे पेड़ों से युक्त घने वन हैं। पूर्वी हिमालय में ओक तथा चेस्टनट, पश्चिमी हिमालय में चीड़ तथा 2000 से 3000 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में देवदार, सिल्वर, फर, स्यूस कम घने रूप में मिलते हैं। कम ऊँचाई वाले भागों में साल मुख्य वृक्ष है। जहाँ तापमान कम तथा वर्षा 100 सेमी से कम होती है; वहाँ जंगली जैतून, कठोर बबूल एवं कठोर सवाना घास के साथ ओक व देवदार के वृक्ष पाये जाते हैं। 3000 से 4000 मीटर की ऊँचाई पर अल्पाइन वनस्पति पाई जाती है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य में अन्तर
राष्ट्रीय उद्यान तुलनात्मक रूप से एक विस्तृत क्षेत्र होता है। यह क्षेत्र मानव के शोषण और अधिग्रहण के द्वारा परिवर्तित नहीं हुआ है। विशिष्ट वैज्ञानिक शिक्षा और मनोरंजन के लिए इसके पेड़-पौधे, जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को भू-आकृतिक स्थलों और आवासों के साथ संरक्षित किया गया है। राष्ट्रीय उद्यान में शिकार और चराई पूर्णतया वर्जित होते हैं। राष्ट्रीय उद्यानों में मानवीय हस्तक्षेप पूर्णतया प्रतिबन्धित होता है।

अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यानों के समान ही होते हैं। ये वन्य प्राणियों को संरक्षित और प्रजातियों को सुरक्षित करने के प्रति समर्पित हैं। अभ्यारण्य में अनुमति के बिना शिकार करना मना है, लेकिन चराई और गौ-पशुओं का आना-जाना नियमित होता रहता है। अभ्यारण्य में मानवीय क्रिया-कलापों की अनुमति होती है।

प्रश्न 5.
भारत में पौधों तथा वनस्पति का वितरण किन तत्वों पर निर्भर करता है? लिखिए।
उत्तर:
भारत में पौधों तथा वनस्पति का वितरण निम्न तत्वों पर निर्भर करता है

  • भूमि :
    भूमि का वनस्पति पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। ऊबड़-खाबड़ तथा असमान भू-भाग पर जंगल व घास के मैदान मिलते हैं जो कि वन्य प्राणियों के आश्रय स्थल हैं।
  • मिट्टी :
    विभिन्न स्थानों की विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ विविध प्रकार की वनस्पति का आधार है। नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में मैंग्रोव वन, ऊँचे पर्वतों के ढलानों पर शंकुधारी वन पाये जाते हैं। मैदानी क्षेत्र कृषि के लिये अनुकूल है तो पठारी क्षेत्रों में पर्णपाती वन मिलते हैं।
  • तापमान :
    प्रत्येक पौधे के अंकुरण, वृद्धि एवं प्रजनन के लिए अनुकूल तापमान की आवश्यकता होती है। उष्ण कटिबन्ध में उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण विविध प्रकार के पेड़-पौधे उगते हैं। ऊँचे पर्वतों पर तापमान कम होने के कारण वनस्पति का वर्द्धन काल छोटा होता है।
  • सूर्य का प्रकाश :
    सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं। जैसे-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की दक्षिणी ढलानों पर अधिक सूर्यताप मिलने के कारण उत्तरी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति पायी जाती है।
  • वर्षा :
    भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में बड़े-बड़े पेड़ सघनता में पाये जाते हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बौने वृक्ष, घास तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। मरुस्थलीय क्षेत्रों में पेड़-पौधों की जड़ें लम्बी होती हैं। थार मरुस्थल की वनस्पति पानी की कमी के कारण काँटेदार होती है।

प्रश्न 6.
सदाबहार वन तथा पर्णपाती वन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सदाबहार वन तथा पर्णपाती वन

सदाबहार वन पर्णपाती वन
1. सदाबहार वनों के वृक्ष अत्यन्त सघन, लम्बे तथा सदा हरे-भरे रहते हैं। 1. पर्णपाती वनों के वृक्ष कम घने, अपेक्षाकृत छोटे होते हैं तथा गर्मियों में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
2. इन वृक्षों के नीचे दलदल तथा विषैले जीव-जन्तु पाये जाते हैं। 2. इन वनों के नीचे दलदल नहीं पाया जाता, किन्तु जंगली जानवर पाये जाते हैं।
3. आबनूस, महोगनी तथा रोजवुड इन वनों के व्यापारिक महत्त्व के वृक्ष हैं। 3. साल और सागौन इन वनों के बहुत ही महत्त्वपूर्ण और उपयोगी वृक्ष हैं
4. इन वनों में एक साथ अनेक जातियों के वृक्ष पाये जाते हैं। 4. ये विरल वन हैं। एक जाति के वृक्ष समूह एक साथ मिल जाते हैं।
5. ये वन महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, त्रिपुरा, मणिपुर आदि राज्यों में पाये जाते हैं। 5. ये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान आदि राज्यों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
उष्ण आर्द्र सदाबहार वनों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. ये वन भारत के उन प्रदेशों में पाये जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 300 सेमी से अधिक होती है तथा शुष्क ऋतु छोटी होती है।
  2. ये वन अत्यधिक घने होते हैं। इनमें पेड़ों की लम्बाई 60 मीटर या इससे अधिक होती है।
  3. इन वनों के पेड़ों के नीचे झाड़ियाँ, बेलें, लताएँ आदि का सघन जाल पाया जाता है। घास प्रायः अनुपस्थित होती है।
  4. इनके पेड़ों की लकड़ी अधिक कठोर व भारी होती है।
  5. वृक्षों में पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं होता है। अतः ये वन सदैव हरे-भरे लगते हैं।
  6. भारत में ये वन पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग, केरल, कर्नाटक तथा उत्तर पूर्व की पहाड़ियों में प्रमुखता से पाये जाते हैं।

प्रश्न 8.
मानव के लिये वन किस प्रकार उपयोगी हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
वनों के प्रत्यक्ष लाभ की तुलना में अप्रत्यक्ष लाभ कैसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? समझाइए।
उत्तर:
वन राष्ट्रीय सम्पदा हैं। यह मानव के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। वन उत्पाद व संरक्षण दोनों प्रकार के कार्य करते हुए देश के आर्थिक विकास में योगदान देते हैं। वनों से हमें दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं-प्रत्यक्ष लाभ एवं अप्रत्यक्ष लाभ।
(A) प्रत्यक्ष लाभ :

  1. वनों से पर्याप्त मात्रा में लकड़ी प्राप्त होती है। वनों की लकड़ियों का उपयोग ईंधन, फर्नीचर, खेल का सामान, दियासलाई तथा कागज आदि वस्तुएँ बनाने में किया जाता है।
  2. वनों से अनेक प्रकार के गौण पदार्थ प्राप्त होते हैं, जिनमें बाँस, बेंत, लाख, राल, शहद, गोंद, चमड़ा रंगने के पदार्थ तथा जड़ी-बूटियाँ प्रमुख हैं।
  3. वनों से हमें वस्त्र बनाने के लिए रेशम और समूर प्राप्त होता है।
  4. खैर नामक वृक्ष से कत्था प्राप्त होता है।
  5. वनों से अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

(B) अप्रत्यक्ष लाभ :

  1. वन भूमि के कटाव को रोकते हैं, क्योंकि वृक्ष जल की बूंदों को सीधे भूमि पर गिरने से रोक देते हैं।
  2. वनों द्वारा भूमि की उर्वरता में अत्यधिक वृद्धि होती है, क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ, घास व पेड़-पौधे, झाड़ियाँ आदि भूमि पर गिरकर व सड़कर ह्यूमस रूप में भूमि की उर्वरा-शक्ति को बढ़ाते हैं।
  3. वन बाढ़ के प्रकोप को रोकते हैं, क्योंकि वृक्ष जल के तीव्र प्रवाह पर रोक लगा देते हैं जिससे जल का प्रवाह मन्द पड़ जाता है।
  4. वायु-प्रदूषण भी वन रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  5. वन वर्षा करने में सहायक होते हैं।
  6. वन जलवायु को मृदुल बनाते हैं। वन गर्मी और सर्दी की तीव्रता को कम करने में सहायक होते हैं।
  7. वन पक्षियों तथा जीव-जन्तुओं के प्राकृतिक आश्रय स्थल हैं।
  8. वन प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रतीक हैं।
  9. वन प्राकृतिक सन्तुलन के स्रोत हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के मुख्य वनस्पति प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में कितने प्रकार के वन पाये जाते हैं। संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन :
इस प्रकार के वन भारत के उन भागों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमी या उससे अधिक रहता है। ये वृक्ष 60 मीटर या इससे भी अधिक ऊँचाई तक बढ़ जाते हैं। ये वन पश्चिमी घाट, मेघालय तथा उत्तरी-पूर्वी भारत के अन्य भागों में पाये जाते हैं। इस प्रकार के वनों में महोगनी, आबनूस तथा कपूरा जैसे अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं।

(2) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन :
इस प्रकार के वन भारत के उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा का औसत 75 से 200 सेमी के मध्य रहता है। इन वनों को मानसूनी वन’ भी कहते हैं। इन वनों के दो उपवर्ग हैं –

  • आर्द्र पर्णपाती वन
  • शुष्क पर्णपाती वन।

प्रथम वर्ग के वनों का विस्तार उत्तर में हिमालय की तराई व भावर प्रदेश, प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भागों तथा पश्चिमी घाट के पूर्वी भागों में पाया जाता है। सागौन इन वनों का महत्त्वपूर्ण वृक्ष है। आर्थिक दृष्टि से ये महत्त्वपूर्ण वन हैं। शुष्क पर्णपाती वनों के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी बिहार, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक आदि में विस्तृत हैं। साल इन वनों का सर्वाधिक लाभदायक और महत्त्वपूर्ण वृक्ष है। इन्हें पर्णपाती (शुष्क और आर्द्र) इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये ग्रीष्म ऋतु में 6 से लेकर 8 सप्ताह तक अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। प्रत्येक जाति के वृक्षों के पतझड़ का समय अलग-अलग होता है।

(3) कँटीले वन तथा झाड़ियाँ :
इस प्रकार के वन भारत के उन भागों में उगते हैं जहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 75 सेमी से कम है। ये वन प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में, दक्षिण में सौराष्ट्र से लेकर उत्तर में पंजाब के मैदानों तक फैले हैं। पूर्व में ये वन उत्तरी मध्य प्रदेश प्रमुख रूप से मालवा का पठार तथा दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के पठार पर फैले हैं। इन वनों में कीकर, बबूल, बेर, खजूर, रामबाँस, नागफनी, खजेड़ा आदि वृक्ष अधिक उगते हैं। आर्थिक दृष्टि से ये वन उपयोगी नहीं हैं, केवल खजूर ही उपयोगी है।

(4) पर्वतीय वन :
पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी व ऊँचाई के कारण अन्य भागों की तुलना में वनस्पति में अधिक अन्तर पाया जाता है। शिवालिक श्रेणियों में 1000 मीटर की ऊँचाई पर पर्वतपदीय क्षेत्र, भावर व तराई में उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन पाये जाते हैं। 1000 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन पाये जाते हैं। ये लम्बे पेड़ों से युक्त घने वन हैं। पूर्वी हिमालय में ओक तथा चेस्टनट, पश्चिमी हिमालय में चीड़ तथा 2000 से 3000 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में देवदार, सिल्वर फर, स्प्रूस कम घने रूप में मिलते हैं। कम ऊँचाई वाले भागों में साल मुख्य वृक्ष है। जहाँ तापमान कम तथा वर्षा 100 सेमी से कम होती है, वहाँ जंगली जैतून, कठोर बबूल एवं कठोर सवाना घास के साथ ओक व देवदार के वृक्ष पाये जाते हैं। 3000 से 4000 मीटर की ऊँचाई पर अल्पाइन वनस्पति पायी जाती है।

(5) मैंग्रोव या ज्वारीय वन :
भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में जहाँ ज्वारभाटा आता है, ये वन पाये जाते हैं। इन वनों में ताड़, नारियल मैंग्रोव, नीपा, फोनेक्स, कैसटाइना आदि वृक्षों की प्रधानता होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों में सागरीय जल भरा रहता है। अतः इनमें आने-जाने के लिये नावों का प्रयोग किया जाता है। इन वनों में वृक्षों की छाल खारे जल के कारण नमकीन व कठोर हो जाती है। वृक्षों की लकड़ी का उपयोग नाव बनाने तथा नमकीन छाल का प्रयोग चमड़ा रंगने में किया जाता है।

प्रश्न 2.
वन संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ? उनके संरक्षण के प्रमुख उपाय बताइए।
उत्तर:
वन संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता :
वन राष्ट्रीय सम्पदा हैं। यह मानव के लिये विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त होती हैं जबकि उनको पूरा करने के लिये प्रकृति प्रदत्त साधन सीमित हैं। यदि हम इन संसाधनों का तीव्रता से प्रयोग करते जाएँगे तो एक समय पश्चात् इन संसाधनों की कमी हो जाएँगी। अतः संसाधनों की कमी से उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए इनका संरक्षण व संवर्द्धन आवश्यक है। इसके साथ-साथ हमें वनों से इमारती लकड़ी, ईंधन की लकड़ी, पशुओं के लिये चारा, लघु व कुटीर उद्योगों के लिये कच्चा माल तथा औषधियों हेतु कच्ची सामग्री प्राप्त होती है। अत: इनका संरक्षण आवश्यक है।

वन संरक्षण के उपाय :
वन संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय किये गये –

  1. सरकार द्वारा क्रियान्वित वन नीति का मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता और पारिस्थितिक सन्तुलन बनाये रखना है।
  2. वन संरक्षण कानून-1980 वनों के विनाश तथा वनभूमि का वनों के अतिरिक्त दूसरे कार्यों के लिये उपयोग को रोकना है।
  3. वन रोपण एवं बंजर भूमि का विकास।
  4. मौजूदा वनों में पुनर्रोपण करना।
  5. वनों की नियन्त्रित एवं वैज्ञानिक विधि से कटाई।
  6. वनों को आग से बचाना और इसके निरीक्षण के लिये अनुवीक्षण मीनारों की स्थापना करना।
  7. ईंधन के लिये वैकल्पिक स्रोत; जैसे-रसोई गैस, सौर चूल्हे आदि का प्रयोग करना।
  8. भवन निर्माण में लकड़ी की अपेक्षा लोहा, टिन आदि का प्रयोग करना।
  9. पशुचारण और ईंधन हेतु वृक्षों व झाड़ियों की कटाई पर रोक।
  10. इमारती लकड़ी के व्यापार को सीमित करना।
  11. दीमक, सँडी, झींगुर, गुबरेला जैसे हानिकारक कीटों पर नियन्त्रण।
  12. कृषि वानिकी, विस्तार वानिकी, रक्षा पंक्ति वानिकी, वन संरक्षण, चिपको आन्दोलन एवं वन महोत्सव के प्रति लोगों में चेतना विकसित करना।

प्रश्न 3.
वन्य जीवों के संरक्षण के लिये किये गये उपायों को लिखिए।
अथवा
‘वन्य जीवों का संरक्षण’ पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
‘वन्य-जीवों का संरक्षण :
वन्य-प्राणी प्रकृति की धरोहर हैं। वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। संकटापन्न वन्य-जीवों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनकी अब गणना की जाने लगी है। बाघ परियोजना को सफलता मिल चुकी है। असम में गैंडे के संरक्षण की एक विशेष योजना चलायी जा रही है। सिंहों की घटती संख्या चिन्ता का विषय बन गयी है। अत: आरक्षित क्षेत्रों की संख्या और उनके क्षेत्रों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। वन्य-प्राणियों की सुरक्षा के लिए भारत में वन प्राणी संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना की गयी है, जहाँ पशु-पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण में फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया जाता है।

“वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अन्तर्गत 103 राष्ट्रीय उद्यानों और 535 अभ्यारण्यों की गिनती की जाती है जो देश के एक लाख 56 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर फैले हैं।” देश में प्राणी उद्यानों के प्रबन्धन की देख-रेख के लिए एक केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण स्थापित किया गया है। यह संस्था 200 से अधिक चिड़ियाघरों के कार्यों में तालमेल रखती है और जानवरों के आदान-प्रदान की वैज्ञानिक ढंग से देख-रेख करती है।

वन्य जीवों के संरक्षण हेतु उपाय-संसार की 5 लाख जीव प्रजातियों में से लगभग 75,000 भारत में है। पक्षियों की लगभग 12,000 प्रजातियाँ एवं 900 उपजातियाँ भारत में विद्यमान हैं। वन्य जीवों के संरक्षण हेतु निम्न उपाय किये गये हैं –

  • बाघ परियोजना :
    1 अप्रैल, 1973 को ‘बाघ परियोजना’ की शुरूआत हुई। इस समय देश के 27 अभ्यारण्यों में यह परियोजना चल रही है।
  • लाल पांडा परियोजना :
    हिमालय क्षेत्र में संरक्षण करने की परियोजना की शुरूआत वर्ष 1996 . में की। 1 भारत 2017, पृष्ठ 297.
  • मणिपुर थामिन (ब्रो ऐन्टलर हिरण) परियोजना :
    1977 में मणिपुर थामिन परियोजना शुरू की गयी।
  • गिर सिंह अभ्यारण्य योजना :
    1972 में गुजरात सरकार ने इनके संरक्षण, सुरक्षा एवं सुधार के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से यह परियोजना शुरू की।
  • हिमालय कस्तूरी परियोजना :
    भारत सरकार के सहयोग से संरक्षण परियोजना उत्तर प्रदेश के ‘केदारनाथ अभ्यारण्य’ में आरम्भ की गयी।
  • हाथी परियोजना :
    यह परियोजना झारखण्ड के सिंहभूमि जिले में 7 दिसम्बर, 1992 को शुरू की गयी।
  • मगर प्रजनन परियोजना :
    भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी. पी.) की सहायता से 1975 में उड़ीसा में मगर प्रजनन तथा प्रबन्ध की परियोजना आरम्भ की।
  • प्रोजेक्ट हांगुल :
    ‘प्रोजेक्ट हांगुल’ 1970 में शुरू की गयी।
  • देश में जीवमण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) की स्थापना :
    देश में 14 जीवमण्डल निचय स्थापित किये गये हैं। इनमें से सुन्दर वन (पश्चिम बंगाल), नंदादेवी (उत्तराखण्ड), मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु) नीलगिरि (केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु) की गणना विश्व के जीवमण्डल निचय में की जाती है। अन्य जीवमण्डल नाकरेक, ग्रेट निकोबार, मानस, सिमलीपाल, दिहांग-दिबांग, डिब्रु साइकवोबा, अगस्तमलाई, कंचनजंघा, पंचमढ़ी, अचनकमट-अभटूकंटक हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सी औषधीय वनस्पति नहीं हैं? (2008)
(i) तुलसी
(ii) नीम
(iii) सर्पगंधा
(iv) टीक।
उत्तर:
(iv) टीक।

प्रश्न 2.
संसार की 5 लाख जीव प्रजातियों में भारत में कितनी प्रजातियाँ पायी जाती हैं?
(i) 50,000 लगभग
(ii) 5,000 लगभग
(iii) 75,000 लगभग
(iv) 15,000 लगभग।
उत्तर:
(iii) 75,000 लगभग

प्रश्न 3.
बाघ विकास कार्यक्रम परियोजना कब प्रारम्भ की गई?
(i) 1971
(ii) 1973
(iii) 1975
(iv) 19791
उत्तर:
(ii) 1973

प्रश्न 4.
भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम कब पारित हुआ? (2008,09)
(i) 1971
(ii) 1972
(iii) 1970
(iv) 19751
उत्तर:
(ii) 1972

प्रश्न 5.
मगर प्रजनन एवं प्रबन्ध परियोजना कब प्रारम्भ की गई?
(i) 1970
(ii) 1972
(iii) 1975
(iv) 19741
उत्तर:
(iii) 1975

प्रश्न 6.
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में कहाँ स्थित है? (2017)
(i) जबलपुर
(ii) नरसिंहपुर
(iii) होशंगाबाद,
(iv) मण्डला।
उत्तर:
(iv) मण्डला।

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. जो वनस्पति मूल रूप से भारतीय है, उसे …………. वनस्पति कहते हैं। (2008, 09)
  2. जो वनस्पति भारत के बाहर से आती है, उन्हें …………. वनस्पति कहते हैं। (2008)
  3. भारत में प्रथम जीव आरक्षित क्षेत्र …………. में स्थापित किया गया। (2008)
  4. ………… में भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम पारित हुआ। (2011)
  5. …………. राष्ट्रीय उद्यान में बाघ नहीं पाये जाते हैं। (2008)
  6. देश में सिंहों का प्राकृतिक आवास स्थल गुजरात का ………… जंगल है। (2010)
  7. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान …………. जिले में स्थित है। (2008, 09)
  8. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान …………. जिले में हैं। (2009, 17)
  9. ज्वारीय वन में ………… वृक्ष पाया जाता है। (2013)
  10. सुन्दरी वृक्ष ………… में पाया जाता है। (2016)
  11. राजस्थान की ………… प्राकृतिक वनस्पति है। (2016)

उत्तर:

  1. देशज
  2. विदेशज
  3. नीलगिरि
  4. 1972
  5. माधव (शिवपुरी)
  6. गिर क्षेत्र
  7. मण्डला,
  8. होशंगाबाद
  9. सुन्दरी
  10. मैंग्रोव वन
  11. उष्ण कटिबन्धीय कटीले वन।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष पाये जाते हैं। (2008)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
जो वनस्पति मूल रूप से भारतीय नहीं है, उसे देशज वनस्पति कहते हैं। (2013)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
आरक्षित वनों में पशुओं को चराने की अनुमति दी जाती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
मध्य प्रदेश में 45% क्षेत्र में वन है। (2008)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
तुलसी वनस्पति का जुकाम व खाँसी के लिए उपयोग होता है। (2008)
उत्तर:
सत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ङ)
  3. → (घ)
  4. → (क)
  5. → (ग)
  6. → (च)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
ऐसे वन जो न तो आरक्षित हैं और न ही सुरक्षित हैं। (2008)
उत्तर:
अवर्गीकृत वन

प्रश्न 2.
ऐसे वन जो एक ऋतु विशेष से पत्ते गिरा देते हैं। (2008, 09, 11)
उत्तर:
पर्णपाती

प्रश्न 3.
भाबर से लगा हुआ अधिक नम तथा दलदली क्षेत्र जहाँ घने वन तथा विविध वन्य जीव पाए जाते हैं। (2010)
उत्तर:
तराई

प्रश्न 4.
वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने का कार्यक्रम। (2009)
उत्तर:
सामाजिक वानिकी

प्रश्न 5.
सुन्दरी वृक्ष पाया जाता है। (2008)
उत्तर:
गंगा, ब्रह्मपुत्र डेल्टा में

प्रश्न 6.
अल्पकाल के लिए आने वाले पक्षी को कहते हैं। (2012, 15)
उत्तर:
प्रवासी पक्षी

प्रश्न 7.
प्रशासनिक आधार पर वनों को कितनी श्रेणियों में रखा गया है? (2013)
उत्तर:
तीन

प्रश्न 8.
भारतीय सिंहों का प्राकृतिक आवास आरक्षित क्षेत्र। (2013)
उत्तर:
गुजरात का गिर क्षेत्र

प्रश्न 9.
राजस्थान की प्राकृतिक वनस्पति है। (2014)
उत्तर:
उष्ण-कटिबन्धीय कँटीले वन

प्रश्न 10.
भारत में सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य कौन-सा हैं? (2018)
उत्तर:
हरियाणा।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी क्षेत्र की वनस्पति को प्रभावित करने वाले तत्वों का नाम लिखिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र की वनस्पति को प्रभावित करने वाले तत्वों में वर्षा, तापमान, आर्द्रता, मिट्टी, समुद्र तल से ऊँचाई तथा भूगर्भिक संरचना महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक आधार पर वनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
प्राकृतिक आधार पर वनों को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन
  2. उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन
  3. पर्वतीय वन
  4. मैंग्रोव वन
  5. उष्ण कटिबन्धीय कँटीले वन।

प्रश्न 3.
उन वन्य प्राणियों के नाम लिखिए जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं?
उत्तर:
गैंडा, चीता, शेर, सोहन चिड़िया आदि वन्य प्राणी अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।

प्रश्न 4.
भारत की वनस्पति में इतनी विविधता क्यों हैं? (2015)
उत्तर:
दक्षिण से लेकर उत्तर ध्रुव तक विविध प्रकार की जलवायु के कारण भारत में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं जो समान आकार के अन्य देशों में बहुत कम मिलती हैं। यहाँ लगभग 46,000 प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिक तन्त्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीवों के सम्मिलित रूप को पारिस्थितिक तन्त्र या पारितन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 6.
भाबर किसे कहते हैं?
उत्तर:
हिमालय क्षेत्र की पहाड़ियों के गिरीपाद प्रदेश में कंकड़ पत्थरों की एक पतली पेटी नदी की धारा के समानान्तर फैली है जो लगभग 8 से 16 किमी चौड़ी है, वह भाबर कहलाती है।

प्रश्न 7.
सागौन, बबूल, खैर और चन्दन वृक्षों का एक-एक मुख्य उपयोग लिखिए।
उत्तर:

  1. बबूल – दन्त मंजन
  2. सागौन – इमारती लकड़ी व फर्नीचर
  3. खैर – कत्था
  4. चन्दन – अगरबत्ती।

प्रश्न 8.
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए और बताइए कि ये किन-किन प्रदेशों में स्थित हैं? 1 भारत 2017, पृष्ठ 5 व 6
उत्तर:

  1. काजीरंगा-असम
  2. रणथम्भौर-राजस्थान
  3. बांधवगढ़-मध्य प्रदेश
  4. कान्हा किसली-मध्य प्रदेश
  5. माधव (शिवपुरी)-मध्य प्रदेश
  6. नन्दादेवी-उत्तराखण्ड।

प्रश्न 9.
मनुष्य के जीवित रहने के लिये पारितन्त्र का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पारितन्त्र का विकास लाखों :
करोड़ों वर्षों में हुआ है। पारितन्त्र के अन्तर्गत आने वाले पौधों तथा जीव-जन्तुओं में गहरा सम्बन्ध होता है। मानव भी अपने अस्तित्व एवं विकास के लिये पारितन्त्र के जीव-जन्तुओं और वनस्पति पर आश्रित हो जाता है। पारितन्त्र से छेड़छाड़ करने से अत्यन्त गम्भीर परिणाम हो सकते हैं अतः पारितन्त्र का संरक्षण आवश्यक है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय वनस्पति के प्रमुख कटिबन्धों के नाम लिखिए। ज्वारीय वन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय वनस्पति के चार प्रमुख कटिबन्ध निम्नलिखित हैं :

  1. उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
  2. उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन
  3. कँटीले वन तथा झाड़ियाँ
  4. ज्वारीय वन।

ज्वारीय वन :
ये वन तट के सहारे नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में पाये जाते हैं। ज्वारीय क्षेत्र में मिलने के कारण इन वनों को ज्वारीय वन कहा जाता है। इन वनों में ताड़, नारियल, मैंग्रोव, नीपा, फोनेक्स, कैज्युराइना आदि के वृक्षों की प्रधानता होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा में सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों में सागरीय जल भरा रहता है, अतः इनमें आने-जाने के लिए नावों का प्रयोग किया जाता है। इन वनों के वृक्षों की छाल खारे जल के प्रभाव से नमकीन तथा लकड़ी कठोर हो जाती है। इन वृक्षों की कठोर लकड़ी का उपयोग नाव बनाने तथा नमकीन छाल का उपयोग चमड़ा रंगने में किया जाता है।

प्रश्न 2.
वनस्पति तथा जीव-जन्तु में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति तथा जीव-जन्तु

वनस्पति जीव-जन्तु
1. प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, घास भूमियाँ तथा झाड़ियाँ शामिल हैं। 1. जीव-जन्तुओं में मछलियाँ, पक्षी, स्तनधारी पश, छोटे कीट, कृमि आदि शामिल हैं।
2. भारत में पेड़-पौधों की 46,000 प्रकार की जातियाँ पायी जाती हैं। 2. यहाँ लगभग 92,037 जातियों के जीव-जन्तु पाये जाते हैं।
3. वनस्पति सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को खाद्य ऊर्जा में बदल सकती है। 3. जीव-जन्तु अस्तित्व के लिए पूर्णरूपेण वनस्पति जगत पर आधारित हैं।
4. पौधों को दो वर्गों-फूल वाले पौधे तथा बिना फूल वाले पौधे के रूप में बाँटा जाता है। 4. जीव-जन्तुओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-(i) शाकाहारी जीव तथा (ii) माँसाहारी जीव।
5. वनस्पति जीव-जन्तुओं की पूरक है। 5. जीव-जन्तु वनस्पति जगत के पूरक हैं।

प्रश्न 3.
भारत में प्रायः औषधि के लिये प्रयोग होने वाले कुछ प्रमुख पादप-सर्पगंधा, तुलसी, नीम, जामुन, बबूल, कचनार व अर्जुन के उपयोग बताइए।
उत्तर:

  1. सर्पगंधा-रक्तचाप के निदान के लिए
  2. तुलसी-जुकाम और खाँसी के लिए
  3. नीम-जैव व जीवाणु प्रतिरोध हेतु
  4. जामुन-पाचन क्रिया को ठीक करने, मधुमेह में उपयोगी
  5. बबूल-फुन्सी में लाभदायक व शारीरिक शक्ति में वृद्धि हेतु उपयोगी
  6. कचनार-फोड़ा व दमा रोग के लिये उपयोगी
  7. अर्जुन-कान का दर्द ठीक करने व रक्तचाप को नियन्त्रित करने के लिए।

प्रश्न 4.
प्रायद्वीपीय पर्वतीय वनों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. इन वनों में अधिक ऊँचाई वाले भागों में अविकसित वनों या झाड़ियों के साथ खुली हुई विकसित तरंगित घास भूमि पायी जाती है।
  2. इन वनों में पेड़ों के नीचे वनस्पति का जाल पाया जाता है। इसमें परपोषी पौधे, काई व बारीक पत्तियों वाले पौधे प्रमुख होते हैं।
  3. ये वन नीलगिरि, अन्नामलाई, पालनी, पश्चिमी घाट व महाबलेश्वर, सतपुड़ा व मैकल पहाड़ियों पर पाये जाते हैं।
  4. इन वनों में पाया जाने वाले मैग्लोनिया, लारेल, एल्म सामान्य वृक्ष हैं। जबकि सिनकोना व यूकेलिप्टस वृक्षों को विदेश से लाकर लगाया गया है।

प्रश्न 5.
आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वन

आर्द्र पर्णपाती वन शुष्क पर्णपाती वन
1. इन वनों का विस्तार उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपाद क्षेत्रों, झारखण्ड, पश्चिमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी घाट से पूर्वी ढाल पर है। 1. यह प्रायद्वीपीय पठार के वर्षा वाले भागों में पाये ये जाते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश में पाये जाते हैं।
2. ये वन उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा की मात्रा 100 सेमी से 200 सेमी होती है। 2. शुष्क पर्णपाती वन 70 से 100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं।
3. सागौन इन वनों का प्रमुख वृक्ष है। बाँस, साल शीशम, चन्दन तथा खैर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक प्रजातियाँ हैं। 3. विस्तृत क्षेत्रों में सागौन तथा अन्य वृक्ष उगते हैं। अधिक सूखे भागों में झाड़ियाँ तथा कँटीले वनों का विस्तार पाया जाता है।

प्रश्न 6.
“वन पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पर्यावरण सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं? कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
वनों एवं पर्यावरण में घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है –

  1. वन वायुमण्डल को शुद्ध रखते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं।
  2. वन वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
  3. वन वायु के तापमान को बनाये रखते हैं, जिससे वर्षा होती है।
  4. वन जलवायु को सम रखते हैं।
  5. वन जल के बहाव को रोकते हैं, जिससे भूमि का कटाव रुक जाता है तथा भूगर्भीय जल-स्तर में वृद्धि होती है।

प्रश्न 7.
जीव-आरक्षित क्षेत्र (बायोस्फीयर रिजर्व) किसे कहते हैं? ऐसे दो क्षेत्रों के नाम बताइए। (2015)
उत्तर:
भारत में जैव-विविधता की सुरक्षा के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत नीलगिरि में भारत का प्रथम जीव-आरक्षित क्षेत्र (बायोस्फीयर रिजर्व) स्थापित किया गया है। यह कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैला है। इसका क्षेत्रफल 5500 वर्ग किमी है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक जन्तु तथा पौधे का रक्षण अनिवार्य है। इसकी स्थापना 1986 में की गयी थी। उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में नन्दादेवी का जीव-आरक्षित क्षेत्र 1988 में स्थापित किया गया था।

प्रश्न 8.
पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं?
अथवा
वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
वनों को काटे जाने के कारण पर्यावरण प्रदूषित हुआ है तथा पारिस्थितिकी में भी परिवर्तन आया है। इसी प्रकार वर्तमान युग में अधिकांश देशों में वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है। इस कमी के कारण भू-अपरदन, अनावृष्टि, बाढ़ आदि समस्याएँ आज मानव के समक्ष आ खड़ी हैं। अतः वायु प्रदूषण की समस्या आज के मानव के सामने सबसे बड़ी समस्या के रूप में उपस्थित हुई है। इसी कारण वन-संरक्षण पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 9.
वनों के विनाश के क्या कारण हैं?
उत्तर:
वनों के विनाश के कारण –

  1. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होने से कृषि भूमि की प्राप्ति के लिए वनों को काटकर खेती की जा रही है।
  2. इमारती लकड़ी और चारे की बढ़ती माँग तथा वन्य भूमि के खेती के लिए उपयोग से वनों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा रहा है।
  3. ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु लकड़ी काटी जा रही है।
  4. आवागमन के साधनों, रेल, सड़क मार्गों के विकास हेतु वनों को काटा जा रहा है।
  5. आवास समस्या की पूर्ति के लिए वनों को काटकर रिहायशी भूमि का विस्तार किया जा रहा है।

प्रश्न 10.
कँटीले वनों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में 70 सेमी से भी कम वार्षिक वर्षा होती है। वहाँ कँटीले वन तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। इस प्रकार की वनस्पति देश के उत्तर-पश्चिमी भागों में पायी जाती है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. इन वनों के वृक्षों का आकार छोटा, पत्तियाँ छोटी तथा जड़ें लम्बी होती हैं।
  2. इन वनों के कीकर, बबूल, खैर तथा खजूर उपयोगी वृक्ष हैं।
  3. इन वनों में वृक्ष दूर-दूर पाये जाते हैं।
  4. कँटीली झाड़ियों में चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िये, जंगली गधा, घोड़े, ऊँट तथा सिंह पाये जाते हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं व प्रमुख वन्य-जीव अभ्यारण्यों के नाम लिखिए।
अथवा
मध्य प्रदेश में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं व प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वन सम्पदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश सम्पन्न राज्य है। यहाँ कुल भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग वनों से घिरा हुआ है जिसमें विभिन्न प्रकार के वन्य-पशु एवं जीव-जन्तु पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश के प्रमुख वन्य-पशु, जीव व पक्षी, काला हिरण, तेंदुआ, चिंकारा, बन्दर, गौर, नीलगाय, चीतल, साँभर, शेर, भालू, घड़ियाल, मगर, कछुआ, सोन चिड़िया, खरमौर आदि हैं। इन वन्य पशुओं, जीवों व पक्षियों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने एवं प्रजातीय सुरक्षा हेतु वन्य जीव अभ्यारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान विकसित किये गये हैं जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं –
मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

मध्य प्रदेश के वन्य जीव अभ्यारण्य

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 6 भारत : प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव

Rate this post
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Hello friends, I am Ashok Nayak, the Author & Founder of this website blog, I have completed my post-graduation (M.sc mathematics) in 2022 from Madhya Pradesh. I enjoy learning and teaching things related to new education and technology. I request you to keep supporting us like this and we will keep providing new information for you. #We Support DIGITAL INDIA.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment