लिंग का अर्थ (Meaning of Gender) क्या है? लिंगीय विभेद के कारण (Causes of Gender Different)

लिंग का अर्थ (Meaning of Gender)

लिंग हेतु अंग्रेजी में ‘Gender’ शब्द प्रयुक्त किया जाता है। लिंग से तात्पर्य स्त्री- पुरुष से है। व्याकरण में भी लिंग का उल्लेख मिलता है जहाँ स्त्रीलिंग, पुल्लिग एवं नपुंसक लिंग हैं। स्त्रीलिंग के द्वारा स्त्रियों का बोध, पुल्लिग द्वारा पुरुष तथा नपुंसक लिंग इन दोनों के अतिरिक्त प्रयुक्त होता है। कुछ इसी प्रकार हमारे समाज में भी लिंगीय व्यवस्था है, जिनमें स्त्री तथा पुरुष दो लिंग हैं एवं अभी हाल ही में तृतीय लिंग (Third Gender) को भी मान्यता प्राप्त हुई है। लिंग व्यक्ति के हाथ में न होकर ईश्वरीय कृति है, परन्तु विज्ञान की प्रगति के परिणामस्वरूप वर्तमान में लिंग परिवर्तन कराया जा रहा है।


लिंग: लिंग को वैयाकरणों द्वारा यह कहकर परिभाषित किया गया है कि जिससे किसी के स्त्री या पुरुष होने का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।


लिंग के निर्धारण में लैंगिक मापदण्डों का प्रयोग किया जाता है, जो निम्न प्रकार है-

लिंग का अर्थ (Meaning of Gender) क्या है? लिंगीय विभेद के कारण (Causes of Gender Different)


जैविक रूप में लिंग को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि जब स्त्री तथा पुरुष के XX गुणसूत्र मिलते हैं तब बालिका और जब स्त्री-पुरुष के XY गुणसूत्र मिलते हैं तो बालक का निर्माण होता है। स्पष्ट है कि लिंग के निर्धारण में जैविक सम्प्रत्यय महत्वपूर्ण है, परन्तु इस हेतु स्त्री या पुरुष किसी की इच्छा का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। लिंग निर्धारण शरीर की ऐच्छिक क्रिया का परिणाम न होकर अनैच्छिक है। अतः इस हेतु किसी को भी दोष नहीं दिया जा सकता है। फिर भी लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है तथा बालकों की तुलना में बालिकाओं को तुच्छ समझा जाता है। लिंग एक परिवर्तनशील धारणा है, जिसमें एक ही संस्कृति, जाति, वर्ग तथा आर्थिक परिस्थितियों और आयु में एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति तथा एक सामाजिक समूह से दूसरे सामाजिक समूह में भी भिन्नताएँ होती हैं। 


स्त्री-पुरुष के लिंग के निर्धारण में जैविक तथा शारीरिक स्थितियों के साथ-साथ सामाजिक तथा सांस्कृतिक बोधों को दृष्टिगत रखना चाहिए।


भारत में लिंगीय अवधारणा प्राचीन काल में स्वस्थ थी। बालक तथा बालिकाओं दोनों में भेदभाव नहीं किया जाता था तथा बराबरी का अधिकार प्राप्त था, परन्तु बाद में लिंगीय अवधारणा अत्यधिक जटिल और दूषित हो गयी, जिस कारण से स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा हीन समझकर उनके अधिकारों की अवहेलना की जाने लगी। वर्तमान में शिक्षा के द्वारा जागरुकता का प्रसार करके स्वस्थ लैंगिक दृष्टिकोण की शिक्षा प्रदान की जा रही है। आँकड़ों के अनुसार स्त्रियों की उपेक्षा के कारण प्रतिवर्ष अर्थव्यवस्था को 920 करोड़ का नुकसान हो रहा है और जिन देशों में स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं, वहाँ की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की दर दर्ज की गई है तथा जहाँ 10 प्रतिशत बालिका नामांकन में वृद्धि हुई वहाँ 3% GDP में वृद्धि हुई।


लिंगीय विभेद के कारण (Causes of Gender Different)


लिंगीय भेदभावों का जन्म आज से नहीं अपितु काफी समय पूर्व से ही चला आ रहा है। विभिन्न कालों में लिंगीय विभेद के कारणों का वर्णन निम्न प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है-


मुस्लिम काल से पूर्व लैंगिक विभेद के कारण-

  1. साम्राज्य की सुरक्षा

  2. वंश चलाने हेतु

  3. पारिवारिक उत्तरदायित्वों के कारण आर्थिक क्षेत्र में सहयोग न कर पाना

  4. स्त्रियों की रक्षा आदि उत्तरदायित्वों का वहन पुरुषों के द्वारा किए जाने से उनके प्रति सम्मान में धीरे-धीरे कमी।


मुस्लिम काल में लैंगिक विभेद के कारण

  1. पर्दा-प्रथा

  2. विदेशी आक्रमण के कारण अस्मिता की रक्षा का भार

  3. पारस्परिक संघर्ष तथा युद्ध

  4. बाल-विवाह

  5. स्त्रियों को विलास की वस्तु मात्र मानना

  6. अशिक्षा

  7. शारीरिक शिक्षा का अभाव

  8. सांस्कृतिक कारक।


आधुनिक काल में लैंगिक विभेद के कारण

  1. दोषपूर्ण पाठ्यक्रम

  2. आर्थिक समस्या

  3. सामाजिक दृष्टिकोण

  4. वंश परम्परा

  5. दहेज प्रथा

  6. मनोवैज्ञानिक कारण

  7. सामाजिक कुप्रथाएँ

  8. संकीर्ण विचारधारा

  9. पुरुष-प्रधान समाज

  10. सरकारी उदासीनता 

  11. अशिक्षा

  12. लड़की पराया धन।

इस प्रकार लैंगिक भेद-भावों की जड़ें अत्यन्त गहरी हैं, परन्तु इसके लिए सर्वाधिक दोषी हमारी मानसिकता है। यदि किसी घर में चार पुत्र हों तो वह स्वयं को मजबूत मानता है और यदि कहीं दो बेटियाँ भी हो गयीं, तो वह परिवार अपने अस्तित्व को समाप्त प्रायः समझकर चलने लगता है। अतः हमें बेटियों को अभिशाप न मानकर उनकी शिक्षा का समुचित प्रबन्ध करना चाहिए, जिससे वे आगे बढ़कर परिवार के सम्पूर्ण उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें।

Rate this post
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Hello friends, I am Ashok Nayak, the Author & Founder of this website blog, I have completed my post-graduation (M.sc mathematics) in 2022 from Madhya Pradesh. I enjoy learning and teaching things related to new education and technology. I request you to keep supporting us like this and we will keep providing new information for you. #We Support DIGITAL INDIA.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment