क्यूरी का नियम, क्यूरी तापमान परिभाषा क्या है | Curie’s law
क्यूरी का नियम
वैज्ञानिक क्यूरी ने सन् 1985 ई० में अनेकों प्रयोग द्वारा यह अध्ययन
किया। कि अनुचुंबकीय पदार्थ की चुंबकन तीव्रता, चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
H के अनुक्रमानुपाती होती है। तथा परमताप T के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
तो
I ∝
I = C
जहां C एक नियतांक है। जिसे क्यूरी नियतांक कहते हैं। एवं यह समीकरण क्यूरी का नियम (Curie’s law ) कहलाता है।
क्यूरी ताप
यदि हम किसी लौहचुंबकीय पदार्थ को गर्म करें, तो एक निश्चित ताप पर
पदार्थ का लौहचुंबकत्व का गुण एकाएक नष्ट हो जाता है। तथा पदार्थ
अनुचुंबकीय में परिवर्तित हो जाता है। एवं पदार्थ को ठंडा करने पर वह पुनः
लौहचुंबकीय हो जाता है। अर्थात्
” वह उच्चतम ताप जिस पर लौहचुंबकीय पदार्थ, अनुचुंबकीय पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है। उसे क्यूरी ताप कहते हैं। “
उदाहरण – निकिल (Ni), आयरन (Fe) तथा कोबाल्ट (Co) के क्यूरी ताप क्रमशः 358°C, 770°C तथा 1121°C होता है।
यह ताप सेल्सियस में है केल्विन में बदलने के लिए इनमें 273 जोड़ दें। जैसे 358 + 273 = 631 K हो जाता है।
Final Words
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