ambidentate ligand example list उभयदंती लिगेंड क्या है उदाहरण सहित समझाइए में बन्धित परमाणु
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उभयदन्तुक (ambidentate) लिगण्ड में बन्धित परमाणु
कुछ लिगण्डों में एक से अधिक परमाणु दाता का काम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, थायोसायनेट आयन धातु के साथ सल्फर परमाणु के द्वारा – SCN या नाइट्रोजन के द्वारा – NCS उपसहसंयोजन आबंध बना सकता है। ऐसे लिगण्डों को उभयदन्तुक लिगण्ड कहते हैं। ये वे लिगण्ड है जो दोनों उपसहसंयोजन अवस्थाओं का सुगमता से उपयोग कर सकते हैं। ऐसी अवस्थाओं में धातु बन्धित परमाणु का उल्लेख करना आवश्यक हो जाता है। इसके लिए धातु से बधित परमाणु को लिगण्ड के नाम के पश्चात् डैश रेखा के पश्चात् कप्पा (K) चिन्ह बनाकर उस परमाणु का प्रतीक लिखा जाता है। एक अन्य सरल विधि के अनुसार x चिन्ह न लगा कर दाता परमाणु को टेढ़े अक्षर से लिखा जाता है जैसा कि कुछ उदाहरणों द्वारा नीचे स्पष्ट किया गया है-
M- SCN – थायोसायनेटो – KS अथवा थायोसायनेटो S
M-NCS – थायोसायनेटो – KN अथवा थायोसायनेटो -N
M – NO2 – नाइट्रिटो – KN अथवा नाइट्रिटो – N
M-ONO – नाइट्रिटो – KO अथवा नाइट्रिटो – O
Na3[Co(NO2)6] – सोडियम हेक्सानाइट्रिटो – KN कोबाल्टेट (III) अथवा सोडियम हेक्सानाइट्रिटो – N कोबाल्टेट (III)
[Co(NH3)5ONO]SO4 – पेन्टाएम्मीननाइट्रिटो – KO कोबाल्ट (III) सल्फेट अथवा पेन्टाऐम्मीननाइट्रिटो – O – कोबाल्ट (III) सल्फेट
(NH4)2[Pt(SCN)6] – अमोनियम हेक्साथायोसायनेटो – KS प्लेटिनेट (IV) अथवा अमोनियम हेक्साथायोसायनेटो-Sप्लेटिनेट (IV)
(NH4)3[Cr(NCS)6] – अमोनियम हेक्साथायोसायनेटो – KN क्रोमेट (III) अथवा अमोनियम हेक्साथायोसायनेटो – N क्रोमेट (III)
(ix) ज्यामितीय समावयव (Geometrical isomers) – उपसहसंयोजन यौगिक के नाम से पूर्व उपसर्गों के उपयोग द्वारा ज्यामितीय समावयवों को प्रदर्शित किया जाता है। कुछ सामान्य उपसर्ग नीचे दिये गये हैं।
- . सिस-इस उपसर्ग का उपयोग दो निकटवर्ती स्थानों पर लिगण्ड की उपस्थित दर्शाने के लिए किया गया है।
(ii) ट्रान्स-परस्पर विपरीत दिशा में विद्यमान लिगण्डों को प्रदर्शित करने के लिए ट्रान्स- उपसर्ग काम में लेते हैं।
(iii) फैक (fac)- किसी बहुफलक (Polyhedron) के किसी त्रिभुजीय फलक के कोनों पर उपस्थित लिगण्डों को प्रदर्शित करने के लिए यह उपसर्ग काम में लिया जाता है।
(iv) मर (mer) – किसी बहुफलक की तीन निकटवर्ती स्थितियों को प्रदर्शित करने हेतु संकुल के नाम से पूर्व इस उपसर्ग को रख देते हैं।
एक अन्य सामान्य प्रणाली में धातु की उपसहसंयोजन स्थितियों को 1,2,3 आदि संख्याओं से बताया है ।
उपर्युक्त बिन्दुओं को निम्न उदाहरणों को स्पष्ट किया जा सकता है।
(x) प्रकाशिक समावयव (Optical isomers)- ध्रुवण घूर्णक (optically active) कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की पद्धति को ही उपसहसंयोजन यौगिकों के नामकरण के लिए अपनाया गया हैं। दक्षिण (dextro) तथा वाम (levo) ध्रुवण घूर्णक यौगिकों को क्रमश: d या (+) तथा (-) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरणार्थ—
d-K3[Ir(C2O4)3] पोटैशियम d- ट्राइऑक्सेलेटोइरिडेट(III)
(xi) बहुनाभिक संकुल (Polynuclear complexes)- यद्यपि अधिकांश उपसहसंयोजन यौगिकों में समन्वय मंडल का एक ही केन्द्र होता है, बहुत से यौगिकों में एक से अधिक केन्द्रीय परमाणु उपस्थित होते हैं। इनका नामकरण निम्न प्रकार किया जाता है-
(i) सेतु लिगण्ड निर्मित सममित बहुनाभिकीय यौगिक – सामान्य उपसहसंयोजन यौगिकों के नामकरण हेतु प्रस्तावित उपर्युक्त नियम बहुनाभिकीय उपसहसंयोजन पदार्थों पर भी लागू होते हैं। सेतु समूहों को भी सामान्य लिगण्डों की भाँति नाम देते है तथा इनका नाम अन्य लिगण्डों के साथ वर्णमाला के क्रमानुसार लिखा जाता है। यदि एक ही प्रकार का लिगण्ड सेतु तथा सामान्य दोनों ही रूप में संकुल में उपस्थित है तो पहले उसके सेतु रूप को संकेत द्वारा लिखते हैं और सामान्य रूप का नाम बाद में लिखा जाता है। एक ही प्रकार के एक से अधिक केन्द्रीय परमाणुओं को डाइ, ट्राइ आदि उपसर्गों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
जिन सममित बहुनाभिक संकुलों में सेतु लिगण्ड दो समान संकुल इकाइयों को जोड़ते है, उनके नाम एक अन्य प्रकार से भी लिखे जा सकते हैं। सर्वप्रथम सेतु लिगण्डों के नाम एवं उनकी संख्या | उपसर्ग के साथ लिखते हैं। इसके पश्चात् सममित इकाई का नाम बिस-उपसर्ग के साथ लिख दिया जाता है। निम्न उदाहरणों में दोनों प्रकार से नाम लिखे गए हैं-
(ii) सेतु लिगण्ड निर्मित असममित बहुनाभिकीय यौगिक-सेतु लिगण्डों से बंधित द्विनामिकी संकुल दो अलग-अलग धातुओं की उपस्थिति के कारण असममित हो जाते हैं। समान धातु परमाणु से भिन्न-भिन्न लिगण्डों के जुड़े होने के कारण भी ये यौगिक असममित होते हैं। इन यौगिकों का नाम लिखने के लिए पहले सभी लिगण्डों (सेतु एवं सामान्य) के नाम अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में लिखने पश्चात् धातुओं के नाम भी इसी प्रकार वर्णमाला क्रम में लिखे जाते हैं (यदि दो भिन्न धातुए उपस्थित है) ।
केन्द्रीय परमाणु से जुड़े एक प्रकार के लिगण्डों की संख्या को K (कप्पा) के दायीं ओर उपस जाता है। केन्द्रीय परमाणुओं को विभेद करनेके लिए उनके निकट एक संख्या का उल्लेख कर दिया। superscript) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है तथा इसके बाद लिगण्ड का दाता T परमाणु लिखा जाता है तथा जिस केन्द्रीय परमाणु से लिगण्ड जुड़े होते हैं उसकी संख्या को K से पहले रखा जाता है। केन्द्रीय परमाणुओं को 1 या 2 संख्याएँ घटती हुई प्राथमिकता के निम्न मानदण्डों के अनुसार दी जाती है
- यदि धातु परमाणु समान हैं: यदि असममित यौगिकों में एक ही धातु के केन्द्रीय परमाणु भिन्न-भिन्न लिगण्डों से जुड़े हैं तो उस केन्द्रीय परमाणु को संख्या 1 दी जाती है जिससे ज्यादा लिगण्ड जुड़े हों एवं दूसरे को संख्या 2 दी जाती है। यदि दोनों की केन्द्रीय परमाणुओं से जुड़े लिगण्डों की संख्या समान हो तो संख्या 1 उस केन्द्रीय परमाणु को दी जाती है जिससे अंग्रेजी वर्णमाला में पहले आने वाले लिगण्ड अधिक संख्या से जुड़े होते हैं। इन नियमों को निम्न उदाहरणों से स्पष्ट किया गया है
उदाहरण 1- संकुल [(H3 N)5Cr(-OH-)2 Cr(NH3)4 (NH2.CH3)]CI5 का नाम लिखिये।
हल : उपर्युक्त संकुल में दोनों केन्द्रीय परमाणु समान हैं लेकिन इनसे भिन्न-भिन्न लिगण्ड जुड़े होने के कारण यह असममित बहुनाभिकीय अणु है। यहाँ तीन प्रकार के लिगण्ड हैं जिनका नाम वर्णमाला के अक्षरों के क्रम में लिखा जायेगा। कुल 9 ऐम्मीन लिगण्ड हैं जिनमें से पहले Cr से पाँच NH3 समूह बंधित होने के कारण इसे संख्या 1 से अंकित किया जायेगा । उपर्युक्त नियमों के आधार पर इन लिगण्डों को 1K5N द्वारा लिखा जायेगा जहाँ संख्या 1 Cr, K5 पाँच लिगण्डों तथा N दाता परमाणु के लिए हैं। इसी प्रकार, दूसरे Cr से चार NH3 बंधित होने के कारण इन समूहों को 2k4N द्वारा इंगित किया जाता है। वर्णक्रम में बाद में हाइड्रॉक्सीडो लिगण्ड आते हैं जो संख्या में दो तथा सेतु का कार्य करते हैं जिससे इनका नाम 4- डाइहाइड्रॉक्सीडो दिया जायेगा। अन्तिम लिगण्ड मेथेनऐमीन है जो दूसरे Cr से जुड़ा है। इसका दाता परमाणु भी N है अतः नामकरण में इसे 2kN से इंगित किया जाता है।
पुनः विभिन्न भागों के नाम इस प्रकार हैं-
9(mine) NH3 को नोनाऐम्मीन – 1 k5 N, 2k-4N
2 OH को 4-डाइहाइड्रॉक्सीडो NH2.CH3 को मेथेनऐमीन 2KN
दो Cr को डाइक्रोमियम (III)
अत: दिये गये संकुल [(H3N)5Cr Cr(NH3)4(NH2CH3)]CI6 का नाम निम्न है
नोनाऐम्मीन–1k5N, 2k4N-u-डाइहाइड्रॉक्सीडो मेथेनऐमीन )-2kNडाइक्रोमियम(III) क्लोराइड
1 उदाहरण 2. निम्न संकुलों के नाम लिखिये।
हल : उपर्युक्त संकुल लिगण्ड सेतु निर्मित सममित बहुनाभिक यौगिक हैं क्योंकि प्रत्येक संकुल में एक से अधिक लेकिन समान धातु परमाणु हैं तथा प्रत्येक धातु परमाणु से समान संख्या में एक से लिगण्ड बंधित है। अत: दिये गये नियमों के आधार पर इनका नामकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है-
(i) (CO)3Fe(CO)3Fe(CO) 3
इस संकुल में दो Fe(CO)3 इकाइयाँ तीन सेतु CO लिगण्डों से बंधित हैं। चूँकि एक ही प्रकार C का लिगण्ड दो भूमिका में है, पहले सेतु लिगण्डों का नाम लिखा जायेगा । अतः तीन सेतु CO समूहों को ट्राइ-J-कार्बोनिल तथा दो Fe (CO)3 इकाइयों को बिस ( (ट्राइकार्बोनिलआयरन (0)} नाम देते हुए संकुल का निम्न नाम होगा-
ट्राइ-u-कार्बोनिलबिस{ट्राइकार्बोनिलआयरन (0)}
नामकरण की दूसरी विधि में एक प्रकार के कुल धातु परमाणु तथा लिगण्डों को जोड़कर नाम दिया जाता है। चूँकि संकुल में तीन सेतु कार्बोनिल, 6 सामान्य CO लिगण्ड तथा दो Fe परमाणु हैं, इसका निम्न नाम भी दिया जा सकता है-
ट्राइ-प्र-कार्बोनिलहेक्साकार्बोनिलडाइआयरन (0)
(ii) [(NH3)2Pt CPt(NH3)2]CI2
उपर्युक्त संकुल में दो CI लिगण्ड सेतु बंध द्वारा दो (NH3)2 Pt इकाइयों को जोड़ते हैं। अत: इस संकुल को निम्न नाम दिया जाता है।
डाइ-u-क्लोरिडोबिस{डाइऐम्मीनप्लेटीनम(II)} क्लोराइड
दूसरी विधि में दोनों प्रकार के सभी लिगण्डों को अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में लिखने के पश्चात ऑक्सीकरण अवस्था सहित दोनों प्लेटीनम परमाणुओं को लिखते हैं जिससे निम्न नाम प्राप्त होता है-
टेट्राऐम्मीनडाइ–क्लोरिडोडाईप्लेटीनम(II) क्लोराइड
इस संकुल आयन में केन्द्रीय Co से तीन एक सी इकाइयाँ सेतु बंध बनाती है। इन इकाइयों को लिगण्ड मानकर केन्द्रीय Co से पूर्व इन इकाइयों का नाम लिखेंगे।
अतः ट्रिस{टेट्राऐम्मीनडाइ-u-हाइड्रॉक्सीडोकोबाल्ट (III)}कोबाल्ट (III) आयन समस्त लिगण्डों तथा धातु परमाणुओं को मिलाने से निम्न नाम प्राप्त होता है। डोडेकाऐम्मीनहेक्सा–हाइड्रॉक्सीडोटेट्राकोबाल्ट (III) आयन
उदाहरण: निम्न संकुलों के नाम लिखिये ।
हल : उपर्युक्त दोनों संकुल असमित बहुनाभिकीय हैं क्योंकि केन्द्रीय परमाणु समान होने के उपरान्त भी उनसे भिन्न-भिनन लिगण्ड बंधित हैं। दोनों संकुलों में तीन-तीन प्रकार के लिगण्ड हैं जिनके नाम, वर्णमाला के क्रम से लिखे जायेंगे जैसा कि नीचे बताया गया है-
दोनों Co परमाणुओं पर चार-चार लिगण्ड उपस्थित हैं अतः संख्या 1 NH3 वाले Co को आवंटित की जायेगी क्योंकि ऐम्मीन लिगण्ड वर्णमाला में क्लोरिडो से पहले आते हैं। अत: Co संख्या 1 के लिगण्डों को टेट्राऐम्मीन-1k-4 N नाम दिया जाता है जहाँ K के दायीं ओर का उपसर्ग (4) ऐम्मीन लिगण्डों की संख्या तथा N ऐम्मीन में दाता परमाणुओं को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार, Co संख्या 2 के लिगण्डों को टेट्राक्लोरिडो-2K-4CI लिखेंगे। इस प्रकार, संकुल का निम्न नाम दिया जायेगा-
टेट्राऐम्मीन – 1k-4N टेट्राक्लोरिडो-2k-4 Cl-डाइu-हाइड्रॉक्सीडोडाइकोबाल्ट (III)
हल: उपर्युक्त संकुल में चार प्रकार के लिगण्ड हैं जिनमें वर्णमाला के क्रम में ऐमिडो (NH2) सर्वप्रथम तथा थायोसायनेटो (CNS) अन्त में आता है। एथिलीनडाइऐमीन एक द्विदन्तुक लिगण्ड है। : ये दो लिगण्ड चार एकदन्तुक लिगण्डों के तुल्य हैं। चूँकि वर्णक्रम में एथिलीनडाइऐमीन पहले तथा थायसायनेटो बाद में आता है अतः en वाले Co को संख्या 1 तथा CNS वाले Co को संख्या 2 आबंटित की जायेगी। इन Co परमाणुओं से बंधित लिगण्डों को क्रमश: बिस (एथिलीनडाइऐमीन) – K-N तथा टेट्राथायोसायनेटो-2K4S नाम दिया जायेगा। अतः दिये गये संकुल का नाम निम्न है-
u-ऐमीडोबिस(एथिलीनडाइऐमीन)-1k-4N-u हाइड्रॉक्सीडोटेट्राथायोसायनेटो-2k4S- डाइकोबाल्ट(III)
- यदि धातु परमाणु असमान हैं-जिन असममित यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु भिन्न-भिन्न है। एक ही वर्ग के हैं, संख्या 1 उस परमाणु को दी जाती है जो आवर्त सारणी में बांई और पड़ता परमाणुओं में हलके परमाणु को 1 तथा भारी को 2 संख्या दी जाती है। यहाँ लिगण्डों की व्यवस्था महत्वहीन होती है। धातु परमाणु संख्या 1 अधिक धात्विक होता है। मार्गदर्शन हेतु तत्वों को धात्विकता के बढ़ते क्रम में चित्र 5 में दिखाया गया है। उदाहरण के लिए हम निम्न संकुल का नामकरण करते हैं।
यह संकुल असममित बहुनाभिकीय है जिसमें चार प्रकार के लिगण्ड तथा असमान केन्द्रीय परमाणु हैं सर्वप्रथम चारों लिगण्डों को वर्णमाला के क्रम में उनकी संख्या सहित नाम लिखेंगे। उपर्युक्त विधि द्वारा यह भी इंगित किया जायेगा कि (NH3) व Cl लिगण्ड किस-किस धातु परमाणु से बंधित हैं। पूर्व कथन अनुसार सेतु लिगण्डों को द्वारा दर्शाया जायेगा । चारों लिगण्डों में वर्णमाला क्रम के अनुसार ऐमीडो सर्वप्रथम, ऐम्मीन उसके पश्चात् तथा नाइट्रीटो अन्त में आयेगा । चित्र 3.5 के अनुसार Co की तुलना में Cr अधिक धात्विक है । अत: Cr को संख्या 1 तथा Co को संख्या 2 दी जायेगी। इस प्रकार उपर्युक्त संकुल को निम्न नाम दिया जायेगा ।
μ- ऐमीडोटेट्राऐम्मीन-1k4N टेट्राक्लोरिडो-2k-4Cl-u- नाइट्रीटो- N क्रोमियम (III) कोबाल्ट (III)
- धातु-धातु आबंध वाले बहुनाभिक संकुल : बहुत से संकुलों में धातु- धातु आबंध पाया जाता है। नामकरण के लिए यहाँ भी उपर्युक्त नियमों का पालन करते हैं। धातु- धातु आबंध प्रदर्शित करने के लिए अन्तिम केन्द्रीय धातु परमाणु के नाम के पश्चात् कोष्ठक में टेढ़े अक्षरों में धातुओं के संकेत लिखकर उनके मध्य एक लाइन बना देते हैं। उदाहरणार्थ-
(i) [(CO)5MnMn(CO) 5] बिस | पेन्टाकार्बोनिलमैंगनीज (0) ] ( Mn – Mn )
(i) [(CH3NH2)4 (CI)PtPt (CH3 NH2)4 (CI)]CI2 बिस (क्लोरिडोटेट्रा किसा( मेथेनएमीन )प्लेटीनम (II)} (Pt-Pt) क्लोराइड
(ii) (Co(CO)4Re(CO),] नोनाकार्बोनिल-1k5C, 2k-4C कोबाल्ट(0)री नियम(0)(Re-Co)
यौगिक में Re VII B वर्ग का सदस्य है जो Co वाले स्तम्भ के बांई ओर पड़ता है । अत: Re को 1 तथा Co को 2 संख्या दी जाती है।