Electoral Bond क्या है? Supreme Court का फैसला |
Electoral Bond क्या है?
चुनावी बॉन्ड को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी किया जाता था. ये बियरर बॉन्ड होते थे, यानी इन्हें किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्था के नाम से जारी नहीं किया जाता था. कोई भी पात्र संस्था इन बॉन्ड्स को खरीद सकती थी और फिर इन्हें किसी भी राजनीतिक दल को दे सकती थी. राजनीतिक दल इन बॉन्ड्स को बैंक खातों (specified bank accounts) में जमा करा सकते थे, जिसके बाद ही उन्हें राशि मिलती थी.
Electoral Bond को लेकर क्या विवाद था?
चुनावी बॉन्ड की मुख्य आलोचना यह थी कि ये दानदाताओं की गोपनीयता को बनाए रखते थे. यह पारदर्शिता की कमी कायम करता था क्योंकि यह पता नहीं चल पाता था कि राजनीतिक दलों को कौन धन दे रहा है.
Supreme Court का फैसला
फरवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया. कोर्ट ने माना कि यह योजना पारदर्शिता के सिद्धांत का उल्लंघन करती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती है.
ताजा खबर (as of March 18, 2024)
- सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को फटकार लगाई है. बैंक ने कोर्ट के आदेश के बाद चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को साझा करने में देरी करने की मांग की थी.
- कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च तक चुनाव आयोग को सारी जानकारी देने का आदेश दिया है. इसमें बांड खरीदने वालों और उन्हें किस राजनीतिक दल को दिए गए, इस संबंध में पूरी जानकारी शामिल है.
- चुनाव आयोग को मिलने वाली इस जानकारी से यह पता चल सकेगा कि किन कंपनियों या संस्थानों ने राजनीतिक दलों को धन दिया है.
इस उम्मीद के साथ कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी!