MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 16 गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती

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Table of content (TOC)

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 16 गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
आय स्तर की तुलना का आधार निर्धारण होता है-
(i) निरपेक्ष गरीबी
(ii) सापेक्ष गरीबी
(iii) पूर्ण गरीबी,
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) सापेक्ष गरीबी

प्रश्न 2.
भारत में सर्वाधिक गरीबी जनसंख्या वाला राज्य है –
(i) मेघालय
(ii) असम
(iii) बिहार
(iv) मध्य प्रदेश।
उत्तर:
(iii) बिहार

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प्रश्न 3.
रोजगार गारण्टी कानून, 2005 में कम से कम कितने दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है? (2014, 16)
(i) 25 दिन
(ii) 50 दिन
(iii) 75 दिन
(iv) 100 दिन।
उत्तर:
(iv) 100 दिन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एक व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में प्राप्त औसत आय ……… कहलाती है।
  2. …………. गरीबी से अभिप्राय आय की असमानता से है।
  3. भारतीय अर्थशास्त्री दाण्डेकर ने सर्वप्रथम …………. का विचार दिया।(2018)
  4. मध्य प्रदेश का सबसे गरीब जिला …………. है।
  5. भारत में गरीबी मापने हेतु सापेक्ष और ………… गरीबी है।

उत्तर:

  1. प्रति व्यक्ति आय
  2. सापेक्ष
  3. गरीबी रेखा
  4. झाबुआ
  5. निरपेक्ष।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि गरीबी को बढ़ाती है। (2016)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
भारत का सबसे गरीब राज्य पंजाब है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत 5 किलो अनाज एवं न्यूनतम 20 प्रतिशत मजदूरी दी जाती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
भारत में शहरी क्षेत्र में 2,100 कैलोरी प्रतिदिन का पोषण प्राप्त न करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
2005 की रिपोर्ट के अनुसार भारत का सबसे गरीब जिला झाबुआ, मध्य प्रदेश है।
उत्तर:
असत्य

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के समक्ष उपस्थित प्रमुख आर्थिक समस्याएँ कौन-कौन सी हैं? (2011, 14)
उत्तर:
भारत के समक्ष गरीबी, तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या, बेरोजगारी, तेजी से बढ़ती हुई कीमतें अर्थात् महँगाई की समस्या, क्षेत्रीय असन्तुलन एवं बढ़ती हुई आर्थिक असमानताएँ, बुनियादी सुविधाओं की कमी तथा खाद्यान्न असुरक्षा आदि प्रमुख समस्याएँ हैं।

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प्रश्न 2.
गरीबी रेखा से क्या आशय है? (2016, 18)
उत्तर:
भारतीय योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2100 कैलोरी निर्धारित की गयी है। कोई भी व्यक्ति जो इससे कम पा रहा है, उसे गरीबी रेखा से नीचे माना गया है।

प्रश्न 3.
भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाले तीन राज्यों के नाम लिखिए। (2014)
उत्तर:
भारत में बिहार, ओडिशा व सिक्किम राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 4.
गरीबी के लिए उत्तरदायी सामाजिक कारण लिखिए। (2010, 13, 16)
उत्तर:
भारत में विद्यमान सामाजिक व्यवस्थाएँ गरीबी का कारण बनी रही हैं। इसमें जन्म, मरण और शादी इत्यादि पर अनावश्यक व्यय और उनके फलस्वरूप ऋण का भार गरीबों को निरन्तर गरीब बनाये रखता है।

भारत में व्याप्त भाग्यवादी दृष्टिकोण में गरीबी को भी किस्मत का खेल’ मान लिया जाता है और उससे बाहर निकलने के लिए अधिक सक्रिय प्रयासों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि किस प्रकार गरीबी बढ़ाती है? समझाइए। (2009, 13, 15)
अथवा
जनसंख्या वृद्धि किस प्रकार गरीबी को बढ़ाती है? भारत के सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाले तीन राज्यों के नाम लिखिए। (2008)
उत्तर:
जनसंख्या में तीव्र गति से होने वाली वृद्धि भी गरीबी की स्थिति को गम्भीर बनाने में सहायक होती है। जनसंख्या वृद्धि से गरीबों के उपभोग स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है। इनकी आय का लगभग सम्पूर्ण भाग परिवार के पालन-पोषण पर व्यय हो जाता है और इस प्रकार बचत और निवेश के लिए इनके पास कुछ नहीं बचता। इससे पूँजी निर्माण और आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ जाती है। परिणामस्वरूप गरीबी की समस्या और उलझ जाती है। सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाले तीन राज्यों के नाम हैं-बिहार, उड़ीसा, सिक्किम।

प्रश्न 2.
विगत वर्षों में भारत में गरीबी की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है? लिखिए।
उत्तर:
भारत में गरीबी की स्थिति-भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या में निरन्तर कमी आई है। वर्ष 1973-74 में 54.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे थे। वर्ष 1983 में गरीबी दर घटकर 44.8 प्रतिशत तथा 1993-94 में 36 प्रतिशत एवं 1999-2000 में देश में गरीबी की दर 26:10 प्रतिशत हो गयी। वर्ष 2007 में 19.3 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 16 गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती

भारत में लगभग 22 करोड़ लोग, गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करते हैं, लेकिन गरीबों की संख्या की तालिका को देखने से पता चलता है कि भारत में गरीबी का प्रतिशत निरन्तर घटता जा रहा है।

प्रश्न 3.
भारत में राज्यवार गरीबी की क्या स्थिति है? समझाइए। (2016)
उत्तर:
भारत में राज्यवार गरीबी :
भारत में विभिन्न राज्यों में गरीबी की व्यापकता समान नहीं है। योजना आयोग द्वारा सितम्बर 2005 को जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत का सबसे गरीब जिला डांग (गुजरात) है। दूसरे स्थान पर राजस्थान का बाँसवाड़ा जिला व तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश का झाबुआ जिला है। भिन्न-भिन्न राज्यों में गरीबी की 2011-12 की अनुमानित स्थिति को निम्न तालिका में दर्शाया गया है –

प्रमुख राज्यों में गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या प्रतिशत

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश 2011-12
आन्ध्र प्रदेश 9.20
बिहार 33.7
गुजरात 16.6
हरियाणा 11.2
कर्नाटक 20.9
केरल 7.1
मध्य प्रदेश 31.7
महाराष्ट्र 17.4
ओडिशा 32.6
पंजाब 8.3
राजस्थान 14.7
तमिलनाडु 11.3
उत्तर प्रदेश 29.4
प. बंगाल 20.0
सम्पूर्ण भारत 21.9

उपर्युक्त तालिका के अनुसार भारत में बिहार, ओडिशा व मध्य प्रदेश राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है।

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प्रश्न 4.
रोजगार गारण्टी कार्यक्रम, 2005 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2009, 11, 12, 15, 18)
उत्तर:
रोजगार गारण्टी कार्यक्रम, 2005 की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. यह अधिनियम केवल एक कार्यक्रम ही नहीं है, अपितु एक कानून है जिसके अन्तर्गत रोजगार हासिल करने की कानूनी गारण्टी दी गई है।
  2. इसके नियोजन तथा क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।
  3. इसका प्रमुख उद्देश्य हर वर्ष प्रत्येक ग्रामीण एवं शहरी गरीब तथा निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के एक वयस्क व्यक्ति को कम से कम 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराना है।
  4. इसके अन्तर्गत माँग करने पर 15 दिन के अन्दर कार्य उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
  5. यदि निश्चित समय में काम उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, तो सम्बन्धित व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाएगा।

प्रश्न 5.
गरीबी को मापने हेतु कौन से मानदण्ड हैं? बताइए। (2008, 09, 16)
अथवा
निरपेक्ष गरीबी और सापेक्ष गरीबी में क्या अन्तर है? (2011, 12)
अथवा
गरीबी की रेखा से क्या आशय है? गरीबी को मापने हेतु कौन से मापदण्ड हैं? (2008, 09)
उत्तर:
गरीबी की माप-सामान्यतः गरीबी को मापने के लिए दो मानदण्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रथम-निरपेक्ष गरीबी; दूसरी-सापेक्ष गरीबी।

  • निरपेक्ष गरीबी :
    निरपेक्ष निर्धनता से आशय किसी राष्ट्र की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है। यह सामान्य जीवन की आवश्यकताएँ जुटाने के लिए संसाधनों के अभाव को इंगित करता है। अन्य शब्दों में मानव की आधारभूत आवयकताओं-खाना, कपड़ा, सामान्य निवास, स्वास्थ्य सहायता आदि की पूर्ति हेतु पर्याप्त वस्तुओं एवं सेवाओं को जुटा पाने की असमर्थता से है।
  • सापेक्ष गरीबी :
    सापेक्ष गरीबी आय की असमानताओं के आधार पर पारिभाषित की जाती है। सापेक्ष गरीबी अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक असमानता या क्षेत्रीय आर्थिक असमानताओं का बोध कराती है। इसका आकलन समय-समय पर (सामान्यतः प्रतिदर्श हर पाँच वर्ष पर) भारतवर्ष में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली जनसंख्या का राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन (एन. एस. ओ) द्वारा करवाया जाता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में गरीबी के लिए उत्तरदायी कारण कौन से हैं? (2008)
अथवा
भारत में निर्धनता के क्या कारण हैं? (2018)
उत्तर:
भारत में गरीबी के कारण-भारत में गरीबी के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित
(1) तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या :
इस समय जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अर्थ है, वस्तुओं की माँग में अपार वृद्धि होना। देश की सम्पत्ति का एक बड़ा भाग अपनी जनसंख्या के पालन में व्यय हो जाता है, जिससे विकास कार्यों को पूँजी नहीं मिल पाती है।

(2) पूँजी निर्माण का अभाव :
पूँजी निर्माण आर्थिक विकास की आधारशिला है, परन्तु पूँजी निर्माण की दर भारत में अपेक्षाकृत कम है।

(3) बेरोजगारी :
निर्धनता का एक प्रमुख कारण बेरोजगारी है। देश में बेरोजगारी की समस्या व्यापक और भीषण है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 5 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। बेरोजगारों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है, जो निर्धनता के लिए एक उत्तरदायी कारण है।

(4) कीमत स्तर में वृद्धि :
कीमतों में वृद्धि परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय-शक्ति कम हो जाने के कारण वास्तविक आय कम हो जाती है जबकि भारत में आय वृद्धि की दर कीमत वृद्धि दर से कम रही है। अतः लोगों के पास उपलब्ध क्रय-शक्ति का ह्रास हुआ है।

(5) असमान वितरण :
उत्पादन के साधनों तथा आय का असमान वितरण भी निर्धनता के लिए उत्तरदायी है। सम्पत्ति का चन्द हाथों में केन्द्रीयकरण हो गया है। स्वभावतः इन्हें अपार आय प्राप्त होती है जबकि अधिकांश लोगों को गरीबी की रेखा से नीचे रहना पड़ता है।

(6) प्रति व्यक्ति निम्न आय ;
भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने से यहाँ गरीबी व्याप्त है। विश्व के विकसित देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति आय का स्तर भारत में बहुत कम है। विश्व बैंक की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति आय मात्र 5,497 डॉलर है, जबकि भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति आय अमेरिका में 52, 947, जर्मनी में 43,919 तथा ब्राजील में 15,175 डालर है।

(7) दोषपूर्ण विकास :
रणनीति-भारत में निर्धनता तथा आय की विषमताओं के लिए विकास की दोषपूर्ण रणनीति भी बहुत सीमा तक उत्तरदायी है क्योंकि अर्थव्यवस्था के विकास का लाभ कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित हो गया है। परिणामस्वरूप निर्धन और निर्धन हो रहा है और अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं। शिक्षित व सुविधा सम्पन्न व्यक्तियों के पास आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हैं, जबकि धनाभाव के कारण निर्धन व्यक्ति उच्च व तकनीक शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। शासन द्वारा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं लेकिन रोजगार के अवसरों में बहुत ही धीमी वृद्धि हुई है।

(8) सामाजिक कारण :
भारत में प्रचलित सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाएँ निर्धनता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। समाज में व्याप्त जाति प्रथा, उत्तराधिकार का नियम, निरक्षरता, भाग्यवादिता तथा धार्मिक रूढ़िवादिता, लोगों को नये विचार तथा तकनीकों को अपनाने से रोकता है। सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने और झूठी प्रतिष्ठा को प्राप्त करने हेतु लोग फिलूजखर्ची करते हैं और निर्धन बने रहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रमों को संक्षेप में लिखिए। (2009)
अथवा
‘स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार’ को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अन्त्योदय अन्न योजना क्या है? स्पष्ट कीजिए। (2009, 15, 17)
अथवा
भारत में गरीबी निवारण के कौन-कौन से प्रमुख कार्यक्रम हैं? (कोई चार) (2010, 17)
अथवा
जनश्री योजना क्या है? (2018) [संकेतः जनश्री योजना शीर्षक देखें।]
उत्तर:
भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम-गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित
(1) प्रधानमन्त्री रोजगार योजना :
यह योजना 2 अक्टूबर, 1993 से प्रारम्भ की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे शहरों के 18 से 35 वर्ष के शिक्षित बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।

(2) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम :
अप्रैल 1995 में यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे कस्बों में परियोजनाएँ लगाने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए आरम्भ की गई।

(3) स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) :
यह योजना 1 अप्रैल, 1999 को आरम्भ की गई थी। इस योजना में पूर्व की अनेक स्वरोजगार तथा सम्बद्ध कार्यक्रमों की योजनाओं; जैसे IRDP, TRYSEM, DWACRA आदि का विलय कर दिया गया है। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के निर्धनों को रोजगार देने के उद्देश्य से सूक्ष्म तथा लघु उद्योग की स्थापना की जाती है। इन उद्योगों में कार्य करने वाले लोगों को स्वरोजगारी कहा जाता है। इस योजना का प्रारम्भिक लक्ष्य सहायता प्राप्त परिवारों को 3 वर्ष की अवधि में गरीबी की रेखा से ऊपर उठाना था।

(4) जवाहर ग्राम समृद्धि योजना (1999) :
यह योजना भी सन् 1999 में पुरानी जवाहर रोजगार योजना को पुनर्गठित करके आरम्भ की गई थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों का जीवन-स्तर सुधारना तथा उन्हें लाभप्रद रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसके अन्तर्गत सरकार द्वारा ग्रामीण गरीबों को ग्राम पंचायतों द्वारा शुरू किये निर्माण कार्यों अथवा परियोजना में रोजगार दिया जाता है।

(5) सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एस. जी. आर. वाई.) :
सुनिश्चित रोजगार योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, दोनों का 25 सितम्बर, 2001 को सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में विलय कर दिया गया। योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए स्थायी सामुदायिक परिसम्पत्तियों का निर्माण करना है। कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व खतरनाक व्यवसायों से हटाये गये बच्चों के अभिभावकों को विशेष सुरक्षा प्रदान करना है।

(6) स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना :
स्वतन्त्रता के स्वर्ण जयन्ती वर्ष में केन्द्र सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में निर्धनता निवारण की एक नई योजना 1 दिसम्बर, 1997 से लागू की गई। इस योजना का उद्देश्य शहरी निर्धनों को स्वरोजगार उपक्रम स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा सवेतन रोजगार सृजन हेतु उत्पादक परिसम्पत्तियों का निर्माण करना है।

(7) जनश्री योजना :
निर्धन वर्ग को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अगस्त 2000 में इस योजना को प्रारम्भ किया गया। योजना में लाभार्थी को स्वाभाविक मृत्यु की दशा में 20,000 रुपये, दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी विकलांगता पर 50,000 रुपये तथा आंशिक विकलांगता पर 25,000 रुपये दिये जाते हैं।

(8) अंत्योदय अन्न योजना :
यह योजना 25 दिसम्बर, 2000 को प्रारम्भ की गई। इस योजना का उद्देश्य लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत शामिल निर्धनता रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। इस योजना में देश के 1.50 करोड़ निर्धन परिवारों को प्रतिमाह 35 किग्रा. अनाज विशेष रियायती कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है।

(9) रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 :
2 फरवरी, 2006 से प्रारम्भ इस योजना के अन्तर्गत देश के 200 चयनित जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्य को वर्ष में न्यूनतम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है। योजना का 33 प्रतिशत लाभ महिलाओं को मिलेगा। यह योजना रोजगार के अन्य कार्यक्रमों से बिल्कुल अलग है, क्योंकि यह मात्र एक योजना नहीं, बल्कि एक कानून है जो रोजगार की वैधानिक गारण्टी प्रदान करता है। योजना के अन्तर्गत रोजगार के इच्छुक एवं पात्र व्यक्ति द्वारा पंजीकरण कराने के 15 दिन के भीतर रोजगार नहीं दिये जाने पर निर्धारित दर से बेरोजगारी भत्ता केन्द्र सरकार द्वारा दिये जाने का प्रावधान है।

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प्रश्न 3.
“भारत एक सम्पन्न देश है, किन्तु इसके निवासी निर्धन हैं।” इस कथन को समझाइए। (2008, 09)
उत्तर:
भारत एक धनी देश है, परन्तु यहाँ के निवासी निर्धन हैं –
भारत में प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की प्रचुर उपलब्धता एवं समृद्धता इस तथ्य को स्पष्ट करती है कि भारत एक धनी देश है, जबकि देश की अधिकांश जनता की निर्धनता और निम्न जीवन-स्तर की स्थिति इस बात का संकेत है कि भारतवासी निर्धन हैं। अतः इस विरोधाभास को स्पष्ट करने के लिए यह आवश्यक है कि कथन के दोनों पहलुओं-प्रथम भारत एक धनी देश है तथा द्वितीय यहाँ के निवासी निर्धन हैं-का अध्ययन करना होगा।

भारत एक धनी देश है :
प्राचीन काल से ही भारत की गणना एक धनी देश के रूप में होती रही है। प्राकृतिक एवं अन्य संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता के आधार पर इस देश को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। भारत को धनी देश कहने के मुख्य आधार निम्नलिखित हैं –

(1) भौगोलिक स्थिति :
देश के उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत की उच्च शृंखलाएँ उत्तरी ठण्डी हवाओं से देश की रक्षा करती हैं तथा हिन्द महासागर से चलने वाली जलवायु हवाओं को रोककर देश में वर्षा कराने से सहायक होती हैं। हिन्द महासागर पर स्थित होने के कारण भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों का संगम है। वायु मार्ग की दृष्टि से भारत की स्थिति काफी लाभप्रद है। यह विश्व का सातवाँ बड़ा देश है जिसका क्षेत्र 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है जो विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत हैं।

(2) जलवायु :
जलवायु की विषमताओं के कारण भी भारत एक धनी देश है। ब्लैण्ड फोर्ड के शब्दों में-“सम्पूर्ण विश्व में जलवायु की इतनी अधिक विषमताएँ कहीं नहीं मिलती जितनी की भारत में। भारत में अनेक प्रकार की वनस्पति, पशु तथा खनिज सम्पत्तियाँ मिलती हैं।” मार्सडेन ने लिखा है कि “विश्व की समस्त जलवायु भारत में मिल जाती है।”

(3) जल भण्डार :
भारत में जल के विपुल स्रोत हैं। यहाँ बारहमासी बहने वाली नदियाँ हैं जिनमें अपार जल है। इस जल को रोककर फसलों की सिंचाई तथा विद्युत् उत्पादन के काम में लाया जा सकता है। इस विषय में किये गये प्रयास से भारत में सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि हुई है, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ा है। विद्युत् उत्पादन में वृद्धि से औद्योगीकरण में सहायता मिली है।

(4) वन सम्पदा :
भारत के प्राकृतिक साधनों में वन सम्पदा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत में वनों का क्षेत्रफल लगभग 6.70 करोड़ हेक्टेअर है। जलवायु और प्राकृतिक रचना के अनुसार देश में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं। इन वनों से हमें चीड़, देवदार, शीशम, साल, सागौन, आबनूस आदि की उपयोगी लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं जिनका उपयोग इमारती सामान, फर्नीचर, रेलों के स्लीपर आदि बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त कई महत्त्वपूर्ण उद्योगों; जैसे-कागज या दियासलाई उद्योग आदि के लिए कच्चा माल भी हमें वनों से ही प्राप्त होता है।

(5) अपार जन-शक्ति :
जन-शक्ति की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। क्योंकि भारत में जनसंख्या 121.07 करोड़ है। यदि इस अपार जन-शक्ति को काम में लाया जाए तो देश उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच सकता है और राष्ट्र के भाग्य को बदल सकता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि, “प्राकृतिक साधनों की दृष्टि से भारत एक धनी देश है, परन्तु यहाँ के निवासी निर्धन हैं।” भारत में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 19:3 प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता की रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रही है। वर्तमान में 5 करोड़ व्यक्ति बेरोजगार हैं। बेरोजगारी तथा कम आय के कारण भारतीय लोगों का जीवन स्तर भी बहुत नीचा है।

भारतवासी निर्धन हैं –

1. तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या :
इस समय जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अर्थ है, वस्तुओं की माँग में अपार वृद्धि होना। देश की सम्पत्ति का एक बड़ा भाग अपनी जनसंख्या के पालन में व्यय हो जाता है, जिससे विकास कार्यों को पूँजी नहीं मिल पाती है।

2. पूँजी निर्माण का अभाव :
पूँजी निर्माण आर्थिक विकास की आधारशिला है, परन्तु पूँजी निर्माण की दर भारत में अपेक्षाकृत कम है।

3. बेरोजगारी :
निर्धनता का एक प्रमुख कारण बेरोजगारी है। देश में बेरोजगारी की समस्या व्यापक और भीषण है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 5 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। बेरोजगारों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है, जो निर्धनता के लिए एक उत्तरदायी कारण है।

4. कीमत स्तर में वृद्धि :
कीमतों में वृद्धि परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय-शक्ति कम हो जाने के कारण वास्तविक आय कम हो जाती है जबकि भारत में आय वृद्धि की दर कीमत वृद्धि दर से कम रही है। अतः लोगों के पास उपलब्ध क्रय-शक्ति का ह्रास हुआ है।

5. असमान वितरण :
उत्पादन के साधनों तथा आय का असमान वितरण भी निर्धनता के लिए उत्तरदायी है। सम्पत्ति का चन्द हाथों में केन्द्रीयकरण हो गया है। स्वभावतः इन्हें अपार आय प्राप्त होती है जबकि अधिकांश लोगों को गरीबी की रेखा से नीचे रहना पड़ता है।

6. प्रति व्यक्ति निम्न आय ;
भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने से यहाँ गरीबी व्याप्त है। विश्व के विकसित देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति आय का स्तर भारत में बहुत कम है। विश्व बैंक की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति आय मात्र 5,497 डॉलर है, जबकि भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति आय अमेरिका में 52, 947, जर्मनी में 43,919 तथा ब्राजील में 15,175 डालर है।

7. दोषपूर्ण विकास :
रणनीति-भारत में निर्धनता तथा आय की विषमताओं के लिए विकास की दोषपूर्ण रणनीति भी बहुत सीमा तक उत्तरदायी है क्योंकि अर्थव्यवस्था के विकास का लाभ कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित हो गया है। परिणामस्वरूप निर्धन और निर्धन हो रहा है और अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं। शिक्षित व सुविधा सम्पन्न व्यक्तियों के पास आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हैं, जबकि धनाभाव के कारण निर्धन व्यक्ति उच्च व तकनीक शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। शासन द्वारा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं लेकिन रोजगार के अवसरों में बहुत ही धीमी वृद्धि हुई है।

8. सामाजिक कारण :
भारत में प्रचलित सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाएँ निर्धनता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। समाज में व्याप्त जाति प्रथा, उत्तराधिकार का नियम, निरक्षरता, भाग्यवादिता तथा धार्मिक रूढ़िवादिता, लोगों को नये विचार तथा तकनीकों को अपनाने से रोकता है। सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने और झूठी प्रतिष्ठा को प्राप्त करने हेतु लोग फिलूजखर्ची करते हैं और निर्धन बने रहते हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत किस प्रकार की अर्थव्यवस्था वाला राष्ट्र है?
(i) विकसित अर्थव्यवस्था
(ii) विकासशील अर्थव्यवस्था
(iii) अल्पविकसित अर्थव्यवस्था
(iv) नियन्त्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर:
(ii) विकासशील अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
ग्रामीण भारत में निवास कर रहे एक व्यक्ति को निर्धन कहा जाएगा यदि इसका दैनिक कैलोरी उपभोग निम्नलिखित से कम है
(i) 2600 कैलोरी
(ii) 2500 कैलोरी
(iii) 2400 कैलोरी
(iv) 2800 कैलोरी।
उत्तर:
(iii) 2400 कैलोरी

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प्रश्न 3.
भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली जनसंख्या का आंकलन किसके द्वारा किया जाता है?
(i) भारतीय रिजर्व बैंक
(ii) केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन
(iii) राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन
(iv) वित्त मन्त्रालय।
उत्तर:
(iii) राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन

प्रश्न 4.
भारत का सबसे गरीब जिला है
(i) बाँसवाड़ा
(ii) झाबुआ
(iii) डांग
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) डांग

प्रश्न 5.
नवीनतम आँकड़ों के अनुसार कुल जनसंख्या का कितना भाग गरीबी रेखा के नीचे रहता है?
(i) 24 प्रतिशत
(ii) 22.5 प्रतिशत
(iii) 20.8 प्रतिशत
(iv) 21.8 प्रतिशत।
उत्तर:
(iv) 21.8 प्रतिशत।

प्रश्न 6.
‘गरीबी रेखा’ का विचार सर्वप्रथम दिया
(i) लकड़वाला
(ii) दाण्डेकर
(iii) एम. एन. राय
(iv) एम. विश्वेश्वरैया।
उत्तर:
(ii) दाण्डेकर

प्रश्न 7.
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना प्रारम्भ हुई
(i) 2 अक्टूबर, 1993
(ii) 2 अक्टूबर 1995
(iii) 2 अक्टूबर, 1997
(iv) 2 अक्टूबर, 2000
उत्तर:
(i) 2 अक्टूबर, 1993

सत्य/ असत्य

प्रश्न 1.
अन्त्योदय अन्न योजना के अन्तर्गत 5 किग्रा. खाद्यान्न दिया जाता है। (2008)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
भारतवर्ष में अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर आधारित है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
भारत की भौगोलिक स्थिति विकास की दृष्टि से अनुकूल नहीं है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
पूँजी निर्माण आर्थिक विकास की आधारशिला है। (2015)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
भारत का सबसे गरीब राज्य पंजाब है। (2017, 18)
उत्तर:
असत्य।

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 16 गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती

उत्तर:

  1. →(ङ)
  2. →(घ)
  3. →(ख)
  4. →(ग)
  5. →(क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
व्यापार चक्र की मन्दी के समय उत्पन्न बेरोजगारी क्या कहलाती है?
उत्तर:
चक्रीय बेरोजगारी

प्रश्न 2.
भारत का सबसे गरीब जिला कौन-सा है?
उत्तर:
डांग

प्रश्न 3.
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम कब प्रारम्भ किया गया?
उत्तर:
अप्रैल 1995

प्रश्न 4.
किसी फर्म के उत्पादन के मूल्य तथा अन्य फर्मों से खरीदे गये आदानों की लागत का अन्तर कहलाता है।
उत्तर:
मूल्य वृद्धि

प्रश्न 5.
प्रकृति द्वारा मनुष्य को प्रदान किये गये वे निःशुल्क उपहार जो आर्थिक विकास में सहायक होते हैं।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधन।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अल्प रोजगार से आप क्या समझते हैं? (2010)
उत्तर:
अल्प रोजगार-जब व्यक्ति अपनी कार्यक्षमता के अनुसार कार्य न पाकर अपनी योग्यता एवं क्षमता से कम स्तर वाला कार्य करता है, तब अल्प रोजगार की श्रेणी में आता है।

प्रश्न 2.
योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश का सबसे गरीब जिला कौन-सा है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश का झाबुआ सबसे गरीब जिला है।

प्रश्न 3.
नवीनतम आँकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का कितना भाग गरीबी रेखा के नीचे रहता है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश का 29.52 प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहा है।

प्रश्न 4.
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार की बेरोजगारी विद्यमान है?
उत्तर:
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प रोजगार के साथ अदृश्य बेरोजगारी विद्यमान है।

प्रश्न 5.
अदृश्य बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? (2015)
उत्तर:
अदृश्य बेरोजगारी-कृषि क्षेत्र में पाई जाने वाली यह बेरोजगारी उस स्थिति का सूचक है जब श्रमिकों की सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है, अर्थात् इन व्यक्तियों को कृषि क्षेत्रों से हटाकर अन्यत्र भेजे जाने पर कृषि क्षेत्र की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

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प्रश्न 6.
मुद्रा प्रसार क्या है?
उत्तर:
मुद्रा प्रसार या मुद्रा स्फीति वह अवस्था है, जिसमें मुद्रा का मूल्य गिर जाता है और कीमतें बढ़ जाती हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गरीबी से क्या आशय है? (2010)
उत्तर:
गरीबी का अर्थ-धन का अभाव निर्धनता को जन्म देता है। केवल कुछ व्यक्तियों की निम्न आर्थिक स्थिति ही गरीबी को जन्म नहीं देती है, बल्कि किसी समाज में व्यक्तियों का बहुत बड़ा भाग जब जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहता है, तब इस स्थिति को ‘गरीबी’ के नाम से जाना जाता है। आशय यह है कि समाज में अधिकांश व्यक्तियों को रहने, खाने और पहनने की अति आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध न हों तो इस प्रकार की स्थिति को ‘गरीबी’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
गरीबी की पहचान किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:
गरीबी की पहचान तो बहुत सरल है, किन्तु इसको परिभाषित करना कठिन है। जब हम अपने आस-पास टूटे झोंपड़ों एवं झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों, रेलवे स्टेशनों और चौराहों पर भीख माँगते भिखारियों, खेतों में काम करने वाले श्रमिकों को देखते हैं तो उनके अभावग्रस्त जीवन को देखकर गरीबी को पहचान सकते हैं। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्ति ‘गरीबी’ की परिभाषा में आते हैं। ‘गरीबी रेखा’ से आशय नागरिकों के उस न्यूनतम आर्थिक स्तर से है, जो उसके जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है।

प्रश्न 3.
अन्नपूर्णा योजना क्या है? संक्षिप्त विवरण दीजिए। (2009)
उत्तर:
अन्नपूर्णा योजना-यह योजना ग्रामीण विकास मन्त्रालय द्वारा 1 अप्रैल, 2000 से प्रारम्भ की गई है। इसके अन्तर्गत 65 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के ऐसे असाध्य वृद्ध नागरिक आते हैं, जो राष्ट्रीय पेंशन योजना के पात्र तो हैं, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इस योजना में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 10 किग्रा. खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाता है। वर्ष 2002-03 में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम को इस योजना में मिला दिया गया।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 16 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“निर्धनता सभी बुराइयों की जड़ है।” विवेचना कीजिए।
अथवा
निर्धनता के दुश्चक्र से आप क्या समझते हैं? (2008, 11)
उत्तर:
निर्धनता के दुश्चक्र से आशय-निर्धनता का दुश्चक्र एक ऐसी वृत्ताकार प्रक्रिया है, जिसका प्रारम्भ भी निर्धनता से होता है और अन्त भी निर्धनता के रूप में होता है।

प्रो. नर्कसे (Nurkse) के शब्दों में, “निर्धनता के दुश्चक्र का आशय नक्षत्र मण्डल के समान वृत्ताकार ढंग से घूमती हुई ऐसी शक्तियों से है जो एक-दूसरे पर इस प्रकार क्रिया-प्रतिक्रिया करती हैं कि एक निर्धन देश निर्धनता की अवस्था में ही बना रहता है।”

निर्धनता के दुश्चक्र की विशेषताएँ –

  1. निर्धनता का कारण व परिणाम स्वयं निर्धनता है।
  2. निर्धनता अपने प्रारम्भिक बिन्दु से अन्तिम बिन्दु तक वृत्ताकार ढंग से क्रिया व प्रतिक्रिया करती हुई बढ़ती है।
  3. इनका प्रभाव संचयी (Cumulative) होता है अर्थात् एक स्तर पर पायी जाने वाली निर्धनता अगले स्तर पर और भी अधिक हानिकारक होने लगती है।
  4. यह एक ऐसी निरन्तर प्रक्रिया है जो सम्बन्धित घटकों को सदैव नीचे की ओर धकेलती है।

प्रो. नर्कसे का कहना है कि इस सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य बात यह है कि वास्तविक आय का निम्न स्तर, वस्तुओं की माँग व पूर्ति के निम्न स्तर का कारण व परिणाम दोनों हैं। वास्तविक आय के कम होने का प्रभाव, एक ओर वस्तुओं की माँग पर पड़ता है और दूसरी ओर लोगों द्वारा की जाने वाली बातों पर पड़ता है जैसा कि निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है –

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 16 गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती

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